मायावती का मास्टर-स्ट्रोक, कुछ यूं खिसका रहीं हैं बीजेपी की राजनैतिक जमीन
August 26, 2018
लखनऊ, बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने बीजेपी की राजनैतिक जमीन खिसकाने का अहम काम शुरू कर दिया है। इसके लिये बसपा अध्यक्ष ने अपनी सुविचारित योजना पर कार्यकर्ताओं और पार्टी नेताओं को सक्रिय कर दिया है।
मायावती ने एक बार फिर अपना पूरा फोकस दलित वोटों पर किया है। बीजेपी की सरकार मे जिस तरह दलितों पर रोज अत्याचार के समाचार आ रहें हैं मायावती ने इसको आगामी लोकसभा चुनाव मे हथियार के रूप मे प्रयोग करने की योजना बनायी है। बसपा ने अपने प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की फौज को घर-घर जाकर दलित मतदाताओं को भाजपा की दलित विरोधी नीतियों के बारे मे बताने के काम पर लगा दिया है।
सूत्रों के मुताबिक, बसपा अध्यक्ष मायावती को प्रधानमंत्री बनाने के अभियान के रूप मे कार्यकर्ताओं को संगठित किया जा रहा है।इससे जहां एक ओर बीएसपी का मूल वोटर सक्रिय हो रहा है। वहीं कार्यकर्ताओं मे भी जोश बढ़ रहा है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक इस योजना से बसपा संगठन भी मजबूत होगा और मतदान का प्रतिशत बढ़ेगा। लेकिन इससे सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को है जिसने दलित वोट पाने के लिये दलितों मे ये प्रचारित कर रखा है कि बीजेपी दलितों की सबसे ज्यादा हितैषी पार्टी है।
बसपा कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वे गांवों में जाकर लोगों को बसपा की नीतियां से भी अवगत कराएं। उन्हें बसपा शासन की कल्याणकारी नीतियों के बारे मे बताएं। ग्रामीणों और शहर के लोगों को जागरूक करें। बतायें कि इस बार के चुनाव में जनता सरकार को करारा जवाब देने के मूड में हैं। भाजपा सरकार लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी है।
योजना के तहत, बसपा के मिशनरी कार्यकर्ता तथ्य सहित घटनाओं का जिक्र करतें हैं। उनकी चर्चा मे रोहित वेमुला से लेकर, भीम आर्मी, पुणे के भीमा कोरेगांव के दलित आंदोलन का भी जिक्र होता है। गुजरात से लेकर, हरियाणा और यूपी मे दलित उत्पीड़न की बड़ी घटनाओं और उसको लेकर बीजेपी सरकार और आरएसएस की दलित विरोधी बयानबाजी का मकसद भी समझाया जाता है। संविधान बदलने, संविधान की प्रति जलाने, प्रमोशन मे रिजर्वेशन को रोकने, दलितों को मिल रही सुविधाओं को न्यायपालिका के माध्यम से समाप्त करने, एससी-एक्ट को कमजोर करने की बीजेपी सरकार की मंशा आदि मुद्दे पढ़े -लिखे दलितों को खास तौर पर आकर्षित कर रहें हैं।
2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव मे बीजेपी ने सघन प्रचार कर बीएसपी के दलित वोटों मे सेंधमारी कर सत्ता प्राप्त कर ली थी। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर मायावती पहले से ही बीजेपी के दलित वोटों मे सेंधमारी को लेकर सक्रिय हो गईं हैं। एसे मे बीजेपी के लिये 2019 के लोकसभा चुनाव मे दलितों को दोबारा साथ रख पाना कठिन होगा।