नयी दिल्ली, जय भीम मिशन ने सरकार की ओर से लेटरल इंट्री के लिए जारी किए गए आवेदन पत्र के विरोध में आज यहां जंतर-मंतर पर विशाल प्रदर्शन किया और इसे वापस लेने की मांग की गई।
दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री और मिशन जय भीम के संरक्षक राजेंद्र पाल गौतम ने कहा है कि एक तरफ केंद्र सरकार सरकारी संस्थानों को बेच रही है जिससे अनुसूचित जाति, जनजाति एवं पिछड़े वर्ग के लोगों के अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है उनकी नौकरियां जा रही है वहीं दूसरी तरफ ठेकेदारी प्रथा लागू करके हमारे लोगों के आगे बढ़ने के रास्ते को रोका गया है और अब इस लैटरल एंट्री के माध्यम से संयुक्त सचिव एवं निदेशकों की भर्ती की जा रही हैं जिससे संविधान में प्रदत्त आरक्षण की नीतियों का खुला उल्लंघन हो रहा। जो लोग जीवन भर मेहनत करके भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी बनते हैं, उनके भी भविष्य के सपनों को चकनाचूर किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि सरकार सरकारी संस्थानों को बेचना बंद कर दें और इस लेटरल एंट्री को तुरंत वापस ले लें।
उन्होंने कहा कि कृषि से संबंधित तीन काले कानून लाये गये हैं, इससे महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ने वाली है। ये बड़े-बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए लाए गए हैं। उन्होंने इन तीनों काले कानूनों को वापस लेने का आग्रह करते हुए कहा कि सरकार की नीतियों से देश का किसान, मजदूर, अनुसूचित जाति,जनजाति एवं पिछड़ा वर्गों के सभी लोग निराश हैं।
मिशन जय भीम के महासचिव बी पी निगम ने सरकार को आगाह किया कि यदि लेटरल एंट्री के आदेशों को वापस नहीं लिया तो इसके विरोध में देशव्यापी आंदोलन जल्द किया जाएगा।