नई दिल्ली, आप कृषि मशीनरी बैंक बनाकर किसानों को किराये पर मशीन देकर अच्छा पैसा कमा सकते हैं. आप मशीनरी बैंक के लिए जो मशीनें खरीदेंगे उस पर सरकार 24 लाख रुपये तक की मोटी सब्सिडी देगी. कोशिश यह है कि मशीनों के जरिए खेती को न सिर्फ आसान बनाया जाए बल्कि लागत कम करते हुए प्रोडक्शन भी बढ़ाया जाए. इसके लिए मोदी सरकार राज्यों को फंड दे रही है. आपको लाभ लेने के लिए अपने राज्य के कृषि विभाग के इंजीनियरिंग डिवीजन में संपर्क करना होगा.
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अगर आप निजी कृषि यंत्र बैंक बनाएंगे तो सरकार 40 फीसदी पैसा खुद लगा रही है. इसके तहत आप 60 लाख रुपये तक का प्रोजेक्ट पास करवा सकते हैं. यानी अपने क्षेत्र के किसानों की जरुरतों को समझते हुए इतनी रकम की मशीनें खरीद सकते हैं. आपके इस प्रोजेक्ट में 24 लाख रुपये सरकार लगाएगी.
कॉपरेटिव ग्रुप बनाकर भी आप मशीन बैंक तैयार कर सकते हैं. लेकिन ग्रुप में 6 से 8 किसान होने चाहिए. ग्रुप में अधिकतम 10 लाख रुपये का प्रोजेक्ट पास होगा. यानी आपको 8 लाख रुपये तक की सब्सिडी मिल सकती है. अब तक देश भर में करीब 20 हजार कृषि यंत्र बैंक बन चुके हैं. कृषि वैज्ञानिक प्रो. साकेत कुशवाहा का कहना है कि फसलों का अधिक उत्पादन समय की जरूरत है. प्रोडक्शन अधिक लेना है तो खेती में उन्नत कृषि यंत्रों का इस्तेमाल जरूरी है. जिससे कृषि कार्य जल्दी होते हैं और उत्पादन लागत में कमी भी आती है.
देश में 90 फीसदी से अधिक छोटे किसान हैं जिनके पास जमीन तो कम है ही, उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि अधिक लागत के आधुनिक कृषि यंत्र खरीद सकें. इसलिए इसे ठीक तरह से लागू किया जाए तो किसानों की जिंदगी में बदलाव आएगा. उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग ने कृषि मशीनरी बैंक के लिए जो नियम बनाए हैं उसमें लिखा है कि सेंटर स्थापित करने के लिए जमीन उपलब्ध करवाने का जिम्मा सरकार का नहीं होगा.कार्यालय में अटेंडेंस रजिस्टर, यंत्र रजिस्टर, यंत्रवार किराये की दर, मशीन मूवमेंट रजिस्टर, किराये की रसीद, सीए द्वारा सर्टिफाइड बैलेंस शीट रखनी होगी.
जो इसका मालिक होगा उसके पास सड़क के किनारे शेड बनाने की जमीन होनी चाहिए. कार्यालय भी बनाना पड़ेगा. स्कीम के तहत लिए गए कृषि यंत्रों को पांच साल तक बेचा नहीं जा सकता.अलग-अलग मशीनों पर सरकार की ओर से निर्धारित किए गए किराए को मानने के लिए बाध्य होगा. किसानों को सरकारी रेट पर ही मशीनें उपलब्ध करवाएगा.इसके तहत जो ट्रैक्टर लिया जाएगा उसका इस्तेमाल कृषि के मौसम में केवल कृषि कार्य के लिए किया जाएगा. बारिश के समय जब कृषि का काम नहीं होता है तभी ट्रैक्टर का इस्तेमाल दूसरे काम में किया जाएगा. विभाग के अधिकारी समय-समय पर मशीन बैंक का निरीक्षण कर सकते हैं. एक-एक मशीन का रिकॉर्ड सरकार रखेगी.
यदि आप यूपी के किसान हैं तो यहां के कृषि विभाग में ऑनलाइन आवेदन करेंगे. इसमें निवास प्रमाण पत्र, शैक्षणिक योग्यता, हैसियत प्रमाण पत्र, बैंक में कर्ज न होने का प्रमाण पत्र और खेती के कागजात लगाने होंगे.इसके बाद मूल प्रतियों का मिलान करके आवेदन स्वीकार किया जाएगा. आवेदन के साथ 100 रुपये के स्टांप पेपर पर नोटरी से सत्यापित करवाकर एक सहमति पत्र भी देना होगा. उप कृषि निदेशक पूरा प्रोजेक्ट बैंक को देंगे.बैंक की स्वीकृति के बाद ही प्रोजेक्ट पास होगा. स्कीम से पहले चयनित किए गए कृषि यंत्रों पर कोई सब्सिडी नहीं होगी.इसी तरह अलग-अलग प्रदेशों में वहां के कृषि विभाग ने यंत्र बैंक बनाने के लिए स्कीम बनाई हुई है. कृषि उप निदेशक से सीधे संपर्क करके आप इसका फायदा उठा सकते हैं.
कुल लाभार्थियों में 30 फीसदी महिलाएं रहेंगी. 50 फीसदी लघु एवं सीमांत किसान होंगे. अनुसूचित जाति के किसानों को 16 प्रतिशत और जनजाति के लिए 8 फीसदी कोटा होगा.