नई दिल्ली, #MeToo कैंपेन के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे एम जे अकबर ने बुधवार को विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। बता दें कि एम जे अकबर पर 20 महिलाओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया था।
रविवार को स्वदेश लौटने के बाद केद्रीय विदेश राज्य मंत्री एम जे अकबर ने अपने ऊपर लगे आरोप को पूरी तरह से झूठ करार दिया और यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने वाली पत्रकारों में से एक प्रिया रमानी के खिलाफ सोमवार को आपराधिक मानहानि का मुकदमा कर दिया था। हालांकि, रमानी के समर्थन में 20 महिला पत्रकार गुरुवार को पटियाला हाउस कोर्ट में गवाही देने के लिए तैयार है। ये सभी पत्रकार ‘द एशियन एज’ अखबार में काम कर चुकी हैं। एम जे अकबर की ओर से रमानी को मानहानि का नोटिस भेजे जाने पर इन महिला पत्रकारों ने एक संयुक्त बयान में रमानी का समर्थन करने की बात कही और अदालत से आग्रह किया कि एम जे अकबर के खिलाफ उन्हें भी सुना जाए।
सूत्रों के अनुसार, दबाव बढ़ता देख, यौन उत्पीड़न के आरोपों का सामना कर रहे एम जे अकबर ने विदेश राज्य मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तत्काल मंजूर भी कर लिया है। एम जे अकबर के इस्तीफे के पीछे पीएम मोदी के दबाव की सूचना मिल रही है।
एम जे अकबर पर ये सभी मामले 10 से 15 साल पुराने हैं, जब एम जे अकबर मीडिया जगत से जुड़े हुए थे। इस बीच, ‘मी टू’ अभियान के तहत सामने आ रहे मामलों की जांच के लिए सरकार रिटायर्ड जजों की कमेटी बनाने की बजाए मंत्रियों का एक समूह गठित करने पर विचार कर रही है।