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राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण को लेकर, गोरखाओं ने लिया चौंकाने वाला निर्णय

गुवाहाटी,  असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) से जिन गोरखाओं का नाम बाहर रखा गया है, वे अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए विदेशी नागरिक न्यायाधिकरण नहीं जाएंगे। गोरखाओं के एक संगठन ने रविवार को यह जानकारी दी।

भारतीय गोरखा परिसंघ (बीजीपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखमान मोक्तान ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि विदेशी न्यायाधिकरण में गोरखाओं की सुनवाई होना “भारतीय होते हुए हमारे लिए अपमान की बात होगी।”

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उन्होंने कहा, “हम गोरखाओं और नेपाली बोलने वाली आबादी की नागरिकता के मुद्दे को विदेशी न्यायाधिकरण ले जाने को लेकर व्यवस्था के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर कर सकते हैं।”

मोक्तान 22 राज्य इकाइयों एवं पांच मंडलों के 1.05 करोड़ भारतीय गोरखाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले एकमात्र पंजीकृत संगठन के अध्यक्ष हैं।

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बीजीपी ने गोरखा समुदाय के उन पीड़ितों से मुलाकात करने के लिए असम का एक हफ्ते का दौरा किया जिनका नाम एनआरसी से बाहर रखा गया है और जिन्हें इसके खिलाफ अपील करने के लिए विदेशी न्यायाधिकरण का रुख करने का निर्देश दिया गया है।

मोक्तान ने कहा कि 18 जिलों के दौरे के दौरान उन्होंने पाया कि कई गोरखाओं के नाम एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर रखे गए हैं।

बीजीपी के महासचिव निर्मल कुमार पुन ने कहा, “किसी भी भारतीय गोरखा को एनआरसी से बाहर नहीं रखा जाना चाहिए। एक सतर्क नागरिक समाज संगठन के तौर पर बीजीपी अहम भूमिका निभाएगी क्योंकि यह न्यायिक निगरानी वाली प्रक्रिया है।”

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यह पूछे जाने पर कि क्या बीजीपी राज्य सरकार को एमएचए की अधिसूचना को बरकरार रखने के लिए नयी याचिका दायर करने में देरी करने को लेकर उच्च न्यायालय में ले जाएगी, असम राज्य भारतीय गोरखा परिसंघ के अध्यक्ष नित्यानंद उपाध्याय ने कहा, “बीजीपी उच्चतम न्यायालय में चल रहे एनआरसी मामले में एक पक्ष है।

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उन्होंने कहा, “अगर असम सरकार केंद्र सरकार के निर्देशों के मुताबिक अपना काम नहीं करेगी तो बीजीपी इस मामले को उच्चतम न्यायालय में ले जाने का नीतिगत निर्णय करेगी और राज्य सरकार को इसमें पक्ष बनाएगी तथा यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ेगी कि गोरखाओं को विदेशी न्यायाधिकरण न जाना पड़े।”

बीजीपी के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव आलोक कुमार से एमएचए की अधिसूचना लागू करने के लिए शनिवार को मुलाकात की थी।
असम में पिछले महीने जारी हुई एनआरसी की अंतिम सूची से 19 लाख से अधिक लोगों को बाहर रखा गया है।

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