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बाल तस्करी, दुर्व्यवहार और बाल विवाह पर लगाम के लिये, बच्चों को मिले मुफ्त शिक्षा

नयी दिल्ली, सभी बच्‍चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा देकर बाल तस्करी, दुर्व्यवहार और बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर लगाम लगायी जा सकती है।

कैलाश सत्‍यार्थी चिल्‍ड्रन्‍स फाउंडेशन ने सरकार से 18 साल तक के सभी बच्‍चों को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा देने की अपील की है ताकि बाल तस्करी, दुर्व्यवहार और बाल विवाह जैसी कुरीतियों पर लगाम लगायी जा सके।
केएससीएफ की ओर से यह कार्यक्रम दरअसल बाल अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की 30वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित किया गया।
इस ‍कार्यक्रम में संसद सदस्‍य डॉण् अमी याज्ञिकए श्रीमती रीता बहुगुणा जोशीए श्री विवेक तन्खाए श्री मनोज कुमार झाए श्री कुंवर दानिश अली और श्री कृष्ण देवरयालू ने सरकार से औपचारिक स्कूल प्रणाली में कमजोर तबके के बच्‍चों को आकर्षित करने के लिए यह कदम उठाने का आग्रह किया।
सांसदों ने इस बात पर जोर दिया कि शिक्षा के अधिकार कानून के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के लिए उम्र सीमा को 14 से बढ़ाकर 18 साल किया जाना चाहिए।
उन्‍होंने कहा कि अब समय आ गया है जब सूचना का अधिकार ;आरटीईद्ध अधिनियम की समीक्षा तथा उसके कार्यान्‍वयन को सुनिश्चित करने के लिए सख्‍त कदम उठाया जाना चाहिए।
कार्यक्रम में आए सभी सदस्यों ने बच्‍चों को बाल तस्करी और बाल श्रम का शिकार होने से बचाने के लिए 12वीं तक की शिक्षा को तत्‍काल निरूशुल्‍क और अनिवार्य करने की जरूरत पर जोर दिया।
सत्यार्थी संस्था के विशेष निदेशक राकेश सेंगर ने यूनीवार्ता को बताया कि सरकार मिड डे मील जैसी योजनाओं से बच्चों को स्कूल ले तो आयी है लेकिन उन्हें जोड़ नहीं सकी है।
उन्होंने कहा केवल यहीं नहीं बल्कि सरकार को शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार लाना चाहिए और पूरे देश में एक समान पाठ्यक्रम लागू करना चाहिए।
कार्यक्रम में सांसदों और नीति निर्माताओं के अलावा कई बाल अधिकार कार्यकर्ताओं और गैर सरकारी संगठनों के सदस्य भी शामिल हुए।