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अब मुफ़्त में नहीं मिलेगा गनर, देनी होगी इतनी फ़ीस

नई दिल्ली, अब आपको मुफ्त में गनर नहीं मिलेगा।  शासन द्वारा यह नियम लागू किया गया है कि गनर मांगने वाले की वार्षिक आय के अनुसार शुल्क लिया जाएगा। इसके साथ ही साथ किसी मुकदमे में पीड़ित व गवाह को भी गनर के खर्च का 10 प्रतिशत हिस्सा देना होगा। यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू कर दी गई है।

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अब गनर के लिए आवेदन करने वाले को जरूरत बताने के साथ ही अपनी सालाना आय का हलफनामा भी देना होगा। पांच लाख तक की सालाना आय वाले को गनर के खर्च 90,000 रुपये/माह का 25 प्रतिशत, 5-15 लाख रुपये तक की सालाना आय वाले को 50 प्रतिशत, 15-25 लाख रुपये तक की सालाना इनकम वाले को 75 प्रतिशत और 25 लाख रुपये सालाना से अधिक आय वाले को एक गनर के लिए 90 हजार रुपये प्रति माह चुकाने होंगे। गनर स्वीकृत होने पर एसएसपी ऑफिस की ट्रेजरी में एक माह का शुल्क एडवांस जमा करवाना होगा। दूसरा माह शुरू होने से पहले ही शुल्क जमा करवाना होगा वरना सुरक्षा हटा ली जाएगी।

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नियम के अनुसार किसी की सुरक्षा में पीएसी के कमांडो तैनात नहीं किए जाएंगे। इसके अलावा जवानों को एके-47 या एमपी-5 गन से लैस कर सिक्यॉरिटी में नहीं भेजा जाएगा। गनर वही असलहे इस्तेमाल करेंगे जो पुलिसकर्मियों को ड्यूटी के लिए दिए जाते हैं। जिला स्तरीय कमिटी एक माह, मंडलीय समिति तीन माह और शासन की उच्च स्तरीय समिति अधिकतम छह माह के लिए गनर दे सकती है। अगर माननीयों की सुरक्षा में दो गनर तैनात हैं तो उनका खर्च सरकार उठाएगी, लेकिन इससे ज्यादा गनर लेने पर माननीयों को भी अपनी वार्षिक आय का हलफनामा देना होगा और उसी के अनुसार ही शुल्क भी।

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त्रिस्तरीय समिति द्वारा गनर दिए जाने का फैसला किया जाता है। पहले जिला स्तर पर एसएसपी/एसपी की रिपोर्ट पर जिला स्तरीय समिति संस्तुति करती है। उसके बाद डीएम की रिपोर्ट पर मंडल स्तरीय समिति के समक्ष मामला रखा जाता है, जिसकी स्वीकृति मंडलायुक्त देते हैं। शासन स्तर पर गठित उच्च स्तरीय समिति गनर दिए जाने पर अंतिम फैसला करती है। उच्च स्तरीय समिति विशेष परिस्थितियों में निर्धारित शुल्क में बदलाव कर सकती है।

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