नई दिल्ली,राजधानी दिल्ली में हुआ किसानों का मार्च विपक्षी एकता का मंच साबित हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल सहित कई नेता किसानों को समर्थन देने पहुंचे थे।
किसान मुक्ति मार्च शुक्रवार को भले ही दिल्ली के जंतर मंतर पर खत्म हो गया,लेकिन इसकी आंच लंबे समय तक बरकरार रहेगी।करीब 21 राजनीतिक दल किसानों के मुद्दे पर एक साथ दिखे और विपक्ष के कई बड़े नेता एकसाथ इस प्रदर्शन में शामिल हुए।इन्होंने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला।किसानों के मसले पर एकजुट हुए विपक्ष की मे अलग नीतियों और एजेंडे के बावजूद किसानों के साथ हर कोई खड़ा दिखा। इसमें कांग्रेस, लेफ्ट, सपा, आम आदमी पार्टी समेत युवा नेता भी किसानों के लिए खड़े नज़र आए।इन्होंने किसानों की मांग को जायज ठहराते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला।
दरअसल, देश के अलग-अलग इलाकों से जुटे हजारों की संख्या में किसानों का जत्था संसद की तरफ बढ़ रहा था, लेकिन संसद से पहले मार्च ने जंतर-मंतर पर एक सभा का रूप ले लिया, जिसमें विपक्ष के कई बड़े नेता एकसाथ इस प्रदर्शन में शामिल हुए। किसानों के समर्थन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी,जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला और शरद यादव एक साथ मंच पर नजर आए।कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल पहली बार एक साथ किसी मंच पर नजर आए तो वहीं फारुख अब्दुल्ला और राहुल गांधी के बीच भी मंच पर खूब बातचीत हुई।
किसानों को समर्थन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। राहुल गांधी ने कहा कि 15 अमीरों का मोदी सरकार ने साढ़े तीन लाख करोड़ रुपये माफ किया, हम यहां सिर्फ न्याय की बात कर रहे हैं। अगर 15 लोगों का कर्जा माफ किया जा सकता है तो हिंदुस्तान के करोड़ो किसानों का कर्जा माफ किया जा सकता है।किसानों की मांग पूरी करने के लिए अगर देश का प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या फिर कानून भी बदलना पड़े तो बदलना होगा, लेकिन किसानों की मांग पूरी करनी होगी। राहुल ने कहा कि हम किसानों की आवाज उठाना बंद नहीं करेंगे।
वहीं दूसरी तरफ अरविंद केजरीवाल ने भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा। केजरीवाल ने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों के वादों को पूरा नहीं किया है, एक तरफ तो सीमा पर जवान दुखी है तो वहीं देश में किसान दुखी है। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि किसान भीख थोड़ी मांग रहे हैं वो अपनी मेहनत का हक मांग रहे हैं, केंद्र की फसल बीमा योजना धोखाधड़ी है, किसान के अकाउंट से बिना पूछे पैसे निकाल लिए हैं, सरकार किसानों की आमदानी पर डाका डाल रही है।
लेफ्ट के नेता सीताराम येचुरी ने भी केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की तुलना कौरवों से की। कहा कि इनको मिलकर हराना है. कर्ज में डूबकर 20 हज़ार से ज़्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं। 2014 में मोदी ने कर्जमाफी का वादा किया था लेकिन 5 साल में क्या हुआ।
कहना गलत नहीं होगा कि सियासत के खिलाड़ियों के लिए दिल्ली में जुटे यह किसान खड़ी फसलें हैं। जिसमें राजनीतिक पार्टियां अपने अपने एजेंडे के मुताबिक अपना अपना हिस्सा चाहती हैं।सोचिए इस देश में किसानों के लिए कब क्या और कितना किया गया,अगर ऐसा होता तो आज ये जंतर मंतर पर ना होते। विपक्ष के इन बड़े नेताओं ने किसानों के प्रदर्शन को 2019 लोकसभा चुनाव के लिए भुनाने की कोशिश की है।