ठाकुर की मदद से ही फूलन ने जमाये थे राजनीति के क्षेत्र में पांव
August 9, 2019
इटावा, अस्सी के दशक में चंबल घाटी मे आतंक का पर्याय बनी दस्यु सुंदरी फूलन देवी के तेवर अगणी जाति विशेषकर ठाकुर को प्रति बेहद तल्ख थे लेकिन यह भी सच है कि बीहड़ों से निकल कर राजनीति के गलियारे में कदम रखने में उनकी मदद करने वाला एक ठाकुर ही था।
ठाकुरो के प्रति बेहद तल्ख रही फूलन देवी को चंबल इलाके के एक ठाकुर राजनेता की बदौलत राजनीति के शीर्ष तक जाने का मौका मिला था। 10 अगस्त 1963 को उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के पुरवा गांव में फूलन का जन्म एक मल्लाह परिवार में हुआ था। पूर्व दस्यु सुंदरी एवं सांसद फूलन देवी को ठाकुर जाति के दुश्मन के रूप में याद किया जाता है। प्रतिकार का बदला लेने के लिए डकैत फूलन ने 14 फरवरी 1981 को कानपुर के बेहमई में 22 ठाकुरों को मौत की नींद सुला दिया था । तब से फूलन के प्रति ठाकुरों में नफरत है लेकिनए यह भी सच है कि बेहमई कांड के बाद एक ठाकुर ने ही फूलन देवी की कदम दर कदम मदद की थी और उन्हें राजनीति का ककहरा पढ़ाया था ।
फूलन के ठाकुर से लगाव का खुलासा तब हुआ जब वह भदोही से सासंद बन गयीं थी । चंबल इलाके के चकरनगर में समाजवादी पार्टी की एक सभा में सपा संस्थापक मुलायम सिंह मौजूद थे । ठाकुर बहुल इलाके में आयोजित इस सभा में मुलायम ने फूलन को निर्देश दिया कि वे अपने संबोधन में ठाकुरों के सम्मान में भी कुछ बोलें । तब फूलन को कुछ समझ में नहीं आया ।कुछ हिचकने के बाद फूलन ने भरी सभा में इस बात का खुलासा किया था श् भले ही मुझे ठाकुरों से नफरत के लिए याद किया जाता है लेकिन बेहमई कांड के बाद मेरी सबसे ज्यादा मदद एक ठाकुर ने ही की थी।
उन्होंने इलाके के प्रभावशाली ठाकुर नेता जसवंत सिंह सेंगर का नाम लेते हुए बताया श् बेहमई कांड के जब वह गैंग के साथ जंगलों में दर.दर भटक रही थीं तब सेंगर साहब ने ही महीनों उन्हें शरण दी। खाने पीने से लेकर अन्य संसाधन भी उपलब्ध करवाए। श् इस जनसभा को हुए वर्षों बीत गए । लेकिनए आज भी फूलन और सेंगर की चर्चा चंबल में होती है। दिवंगत जसवंत सिंह के बेटे हेमरूद्र सिंह ने बताया श् बेहमई कांड के वक्त उनके पिता स्थापित कांग्रेस नेता और चकरनगर के ब्लाक प्रमुख थे । ऐसे में फूलन देवी और उनके गैंग के सदस्यों ने जब पिताजी से मदद मांगी तो पिता जी ने इनकार नहीं किया। फूलन और उनके गैंग के सदस्यों को अपने खेतों में रुकने का बंदोबस्त कर दिया। फूलन भी जसवंत सिंह की काफी इज्जत करती थीं। जसवंत के कहने पर बतौर सांसद फूलन ने क्षेत्र में कई काम करवाए थे।
फूलन की भले ही अपने जमाने में तूती बोलती थी लेकिन आज उनकी मां घोर गरीबी में जी रही हैं । चंबल फाउंडेशन के संस्थापक शाह आलम बताते हैं कि जालौन जिले के महेवा ब्लाक अंतर्गत शेखपुर गुढ़ागांव में फूलन की मां मूला देवी केवट इन दिनों बहुत कष्ट में हैं। घोर गरीबी में वे दुखों का पहाड़ ओढकऱ एक.एक दिन जीवन काट रही हैं । सात जून 2018 को फूलन की सबसे छोटी बहन रामकली का अभाव की जिंदगी जीते हुए निधन हो गया । वही मूला का एकमात्र सहारा थी। ऐसे में अब मूला को मौत कब खाली पेट दस्तक दे दे कुछ कहा नहीं जा सकता।
बैंडिट क्वीन के नाम से चर्चित फूलन जब 11 साल की थीं तो उनके चचेरी भाई ने उनकी शादी पुट्टी लाल नाम के एक बूढ़े आदमी से करवा दी । दोनों में उम्र का एक बड़ा फासला होने के कारण दिक्कतें आती रहती थीं । फूलन का पति उन्हें प्रताडित करता था जिसकी वजह से परेशान होकर फूलन ने पति का घर छोड़ कर अपने माता पिता के साथ रहने का फैसला किया ।