नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारत के पारम्परिक इंडोर खेलों को नये और आकर्षक रूप में प्रस्तुत किया जाना चाहिए ताकि भविष्य की पीढ़ी इन्हें सीख सके क्योंकि भारतीय खेल भी तो लोकल हैं।
श्री मोदी ने रविवार को अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, “कोरोना जैसा संकट नहीं आया होता तो शायद जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में इतनी समझ नहीं आ पाती और इस महामारी ने निश्चित रूप से हमारे जीवन जीने के तरीकों में बदलाव ला दिया है। हमारे देश में पारम्परिक खेलों की बहुत समृद्ध विरासत रही है।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे मालूम है, आज जब मैं ये बात कर रहा हूं तो कितने ही लोग अपने बचपन में लौट गए होंगे, कितनों को ही अपने बचपन के दिन याद आ गए होंगे। मैं यही कहूंगा कि उन दिनों को आप भूले क्यों हैं। उन खेलों को आप भूले क्यों हैं। मेरा घर के नाना-नानी, दादा-दादी, घर के बुजुर्गों से आग्रह है कि नयी पीढ़ी में ये खेल आप अगर ट्रांसफर नहीं करेंगे तो कौन करेगा।”
श्री मोदी ने कहा, “जब ऑनलाइन पढ़ाई की बात आ रही है, तो संतुलन बनाने के लिए और ऑनलाइन खेल से मुक्ति पाने के लिए भी हमें ऐसा करना ही होगा। हमारी युवा पीढ़ी के लिए भी, हमारे स्टार्ट-अप्स के लिए भी यहां एक नया अवसर है और यह मजबूत अवसर है। हम भारत के पारम्परिक इंडोर खेलों को नये और आकर्षक रूप में प्रस्तुत करें। उनसे जुड़ी चीजों को जुटाने वाले, सप्लाई करने वाले, स्टार्ट-अप्स बहुत पॉपुलर हो जाएंगे। हमें यह भी याद रखना है कि हमारे भारतीय खेल भी तो लोकल हैं।”
उन्होंने कहा, “कोरोना जैसा संकट नहीं आया होता, तो शायद जीवन क्या है, जीवन क्यों है, जीवन कैसा है, हमें शायद ये याद ही नहीं आता। कई लोग इसी वजह से मानसिक तनावों में जीते रहे हैं। तो दूसरी ओर लोगों ने मुझे ये भी शेयर किया है कि कैसे लॉकडाउन के दौरान खुशियों के छोटे-छोटे पहलू भी उन्होंने जीवन में फिर से ढूंढें हैं। कई लोगों ने मुझे पारम्परिक इंडोर खेल खेलने और पूरे परिवार के साथ उसका आनंद लेने के अनुभव भेजे हैं।”