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प्रधानमंत्री मोदी ने लिया यू टर्न , अब संसद में बताया लोकतंत्र में आंदोलनाें का महत्व?

नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संसद में यूटर्न लेते हुये लोकतंत्र में आंदोलनाें के महातम्य पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होने किसान आंदोलन में बाहरी तत्वों के शामिल होने की बात दोहराते हुए आज उन पर तीखा प्रहार किया और कहा कि किसान के पवित्र आंदोलन को ये आंदोलनजीवी कलंकित कर रहे हैं।

श्री मोदी ने राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए बुधवार को कहा कि लोकतंत्र में आंदोलनाें का महातम्य होता है। लोकतंत्र में आंदोलन होने चाहिए लेकिन जब ‘आंदोलनजीवी’ अपने फायदे के लिए आंदोलन का इस्तेमाल शुरू करते हैं तो इसका बहुत नुकसान होता है। किसानों के पवित्र आंदोलन को जो लोग अपवित्र कर रहे हैं उन्होंने ही टोल प्लाजा पर कब्जा किया है और किसानों के पवित्र आंदोलन को कलंकित करने का काम किया है।

उन्होंने कहा “किसान आंदोलन को मैं पवित्र मानता हूं।हमारे लोकतंत्र में आंदोलन का महत्व है लेकिन जब आंदोलनजीवी पवित्र आंदोलन को अपने लाभ के लिए अपवित्र करने निकल पड़ते हैं तो क्या होता है। दंगा करने वालों, सम्प्रदायवादी, आतंकवादियों जो जेल में हैं, उनकी फोटो लेकर उनकी मुक्ति की मांग करना, यह सब किसानों के आंदोलन को अपवित्र करना है।”

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान आंदोलन को लेकर सोमवार को राज्यसभा में विपक्ष पर निशाना साधा था ।  प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये (आंदोलनजीवी) लोग खुद आंदोलन नहीं चला सकते हैं, लेकिन किसी का आंदोलन चल रहा हो तो वहां पहुंच जाते हैं। ये आंदोलनजीवी ही परजीवी हैं, जो हर जगह मिलते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि हमने बुद्धिजीवी सुना था, लेकिन कुछ लोग आंदोलनजीवी हो गए हैं, देश में कुछ भी हो वो वहां पहुंच जाते हैं, कभी पर्दे के पीछे और कभी फ्रंट पर, ऐसे लोगों को पहचानकर हमें इनसे बचना होगा।

श्री मोदी ने कहा कि देश में एक बहुत बड़ा वर्ग है जो सही काम करने को गलत मानता है। इस वर्ग की पहचान है कि सही बात कहने में कोई बुराई भी नहीं हैं लेकिन वे लोग सही करने वालों से नफरत करते हैं। यही वह वर्ग है जो दिल्ली में पर्यावारण प्रदूषण के खिलाफ न्यायालय जाता है लेकिन पराली जलाने के मुद्दे पर किसानों के साथ खड़ा होता है। लिंग के आधार पर भेदभाव का विरोध करता है और ऐसे काम को अन्याय मानता है लेकिन जब तीन तलाक की बात आती है तो विरोध में खड़ा हो जाता है।