मंदिर निर्माण के लिए जमीन देने की पेशकश ‘आपत्तिजनक’, दलितों को स्वीकार नही
October 19, 2019
नयी दिल्ली, केंद्र की ओर से दक्षिण दिल्ली में गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के लिए 200 वर्ग मीटर जमीन देने से जुड़ी पेशकश को ‘आपत्तिजनक’ करार देते हुए, कांग्रेस की दिल्ली इकाई के कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया ने कहा कि दलित समुदाय यह स्वीकार नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मंदिर उसी जगह पर बनना चाहिए, जहां पहले था।
दरअसल, लिलोठिया ने रविदास मंदिर मामले में डीडीए के खिलाफ अवमानना के लिए अंतरिम आवेदन दायर कर रखा है। उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘सरकार ने कहा है कि पोटा केबिन या लकड़ी से बने अस्थायी परिसर में गुरु रविदास जी की प्रतिमा रखी जाएगी। यह प्रस्ताव बेहद आपत्तिजनक और करोड़ों अनुयायिओं की भावनाओं को आहत करने वाला है।’’
लिलोठिया ने कहा कि मंदिर उसी स्थान पर बनना चाहिए, जहां गुरु रविदास रहे थे और मंदिर गिराने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ अवमानना का मामला चलाया जाना चाहिए। दरअसल, केंद्र ने उच्चतम न्यायालय को शुक्रवार को बताया कि वह दक्षिण दिल्ली में गुरु रविदास मंदिर के निर्माण के लिए श्रद्धालुओं की एक समिति को 200 वर्ग मीटर इलाका सौंपने का इच्छुक है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति एस रविंद्र भट की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश हुए अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल के प्रस्ताव को दर्ज किया और मंदिर के निर्माण की मांग कर रहे पक्षकारों से कहा कि यदि उन्हें कोई आपत्ति है तो वे सोमवार तक इसे दर्ज कराएं। वेणुगोपाल ने शुरुआत में कहा कि उन्होंने श्रद्धालुओं और सरकारी अधिकारियों समेत सभी पक्षकारों के साथ विचार-विमर्श किया है और श्रद्धालुओं की आस्था एवं संवेदनशीलता को देखते हुए निर्माण स्थल के लिए भूमि का टुकड़ा देने के लिए सहमत हो गया है।