सवर्णों को आरक्षण देने का मामला पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, निरस्त करने की हुयी मांग
January 10, 2019
नयी दिल्ली, सवर्णों को 10 फीसदी आरक्षण देने संबंधी संविधान संशोधन अधिनियम को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गयी है। साथ ही इसे निरस्त करने का न्यायालय से अनुरोध किया गया है।
गैर-सरकारी संगठन यूथ फॉर इक्विलिटी ने गुरुवार को 103वें संविधान संशोधन कानून, 2019 के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।याचिका में कहा गया है कि भारतीय संविधान के तहत आर्थिक रूप से पिछड़े को आरक्षण का आधार नहीं बनाया जा सकता।
याचिकाकर्ता ने अपनी दलील के समर्थन में इंदिरा साहनी बनाम भारत सरकार से संबंधित मामले में शीर्ष अदालत के फैसले का भी जिक्र किया है।याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि एम. नागराज बनाम भारत सरकार एवं अन्य के मामले में दिये गये फैसलों के अनुसार आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकती।
याचिकाकर्ता ने 103वें संविधान संशोधन अधिनियम को संविधान के ढांचे का उल्लंघन करार देते हुए इसे निरस्त करने का न्यायालय से अनुरोध किया है। सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण के लिए 124वां संविधान संशोधन विधेयक लायी थी, जिसे संसद ने पारित कर दिया है। इसके साथ ही यह 103वें संविधान संशोधन कानून में तब्दील हो गया है।