सीट बंटवारे में राजद ने महागठबंधन के दलों को दिखाया बड़ा दिल, कहा- जीतने के लिये ही लड़ाना है
October 3, 2018
नई दिल्ली, बिहार मे राजद ने महागठबंधन के आगे अगले लोकसभा चुनाव में एनडीए को परास्त करने का मुख्य लक्ष्य रखा है। महागठबंधन के दलों ने सीटों की दावेदारी शुरू कर दी है। राजद ने भी खुले दिल से छोटे दलों का स्वागत किया और कहा है कि केवल जीतने के लिये ही अपना उम्मीदवार लड़ायें।
महागठबंधन में फिलहाल राजद, कांग्रेस, लोकतांत्रिक जनता दल औैर हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा शामिल हैं। इनके अलावा भाकपा माले, भाकपा, माकपा,सपा और बसपा को स्वाभाविक मित्र मान लिया गया है। तारिक अनवर के इस्तीफे के बाद राज्य में एनसीपी की चुनावी संभावना खत्म हो गई है। बीते लोकसभा चुनाव में एनसीपी भी यूपीए में शामिल थी।
राजद की झोली में सहयोगी दलों के लिए अधिकतम 20 सीटें हैं। ये सीटें राजद को छोड़ नौ दलों के बीच बंंट सकती हैं। विशेष अतिथि के तौर पर रालोसपा का इंतजार किया जा रहा है। सीटों की हिस्सेदारी में उसका दर्जा राजद और कांग्रेस के बाद तीसरे नम्बर पर होगा। बाकी दल एक-दो सीट के लायक माने गए हैं। अगर रालोसपा इधर नहीं आती है तो राजद 20 से अधिक सीटों पर उम्मीदवार खड़ा करेगा। तब आठ दलों के बीच बची हुई सीटों का बंटवारा होगा।
अपने लिए 20 सीट रखने के बाद राजद की झोली में कांग्रेस के लिए सबसे अधिक आठ सीटें हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस 12 सीटों पर लड़ी थी। तब उसके पास उम्मीदवार नहीं थे। राजद ने दो उम्मीदवार भी दिए। इस बार कांग्रेस को कहा जा सकता है कि जीतने वाली सीटों पर मजबूत उम्मीदवार दीजिए। रालोसपा के लिए चार-पांच सीटें हैं। इनमें से एक झारखंड की हो सकती है। पूर्व केंद्रीय मंत्री नागमणि चतरा से चुनाव लडऩा चाहते हैं। अगर रालोसपा महागठबंधन में शामिल नहीं होती है तो सीटों का हिसाब बदल जाएगा। तब राजद के साथ कांग्रेस की सीटें भी बढ़ जाएंगी।
शरद यादव की लोकतांत्रिक जनता दल के लिए दो सीटों का प्रस्ताव है। शरद के लिए मधेपुरा और उदय नारायण चौधरी के लिए जमुई। हम के जीतनराम मांझी के लिए गया की सीट आरक्षित है। हम के दूसरे नेता डा. महाचंद्र प्रसाद सिंह का नाम प्रतीक्षा सूची में है। इनके अलावा तीनों वाम दलों के लिए एक-एक सीट का इंतजाम है। बसपा के लिए गोपालगंज या सासाराम की सीट रखी गई है। सपा को झंझारपुर की सीट चाहिए। उस सीट के लिए राजद में पहले से घमासान है। इसलिए सपा को किसी दूसरी सीट पर चुनाव लडऩे के लिए कहा जा सकता है। सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी के संदेशवाहक इन दिनों दो तरफा चल रहे हैं। वह अगर इस तरफ आए तो उन्हें एक सीट दी जा सकती है।
महागठबंधन के सहयोगी दलों को यह संकेत दे दिया गया है कि सिर्फ जीतने वाली सीटों की बात करें। 2015 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के पार्टनर की तरह अधिक सीटों की मांग कर चुनाव के बाद अपनी फजीहत न कराएं। राजद का लक्ष्य है कि महागठबंधन के उम्मीदवार कम से कम 20 सीटों पर जीत दर्ज कराएं। यह लक्ष्य हासिल हो गया तो 2020 के विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ हो जाएगा।