जम्मू, केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में लगभग छह महीनों के बाद कोविड-19 की मानक प्रक्रिया के अनुपालन के साथ आज से स्कूलों को खोल दिया गया, लेकिन बच्चों के संक्रमित होने का जोखिम अभिभावकों पर डाले जाने के आदेश के कारण अभिभावकों में असंतोष व्याप्त है।
देश में कोरोना महामारी फैलने पर सरकार ने 25 मार्च को पूरे देश में लगे लाकडाउन के कारण स्कूलों एवं कालेजों को भी पूरी तरह से बंद करने का फैसला लिया था। कोरोना काल के दौरान बच्चों को स्कूलों एवं कालेजों में जाने देने से इस महामारी के और तेजी से फैलने खतरा था।
केन्द्र सरकार की ओर से लगभग दो महीनों से कठोर लाकडाउन के बाद धीरे धीरे लाकडाउन को खोलने की प्रक्रिया को शुरू किया गया तथा विभिन्न चरणों से गुजरने के बाद लाकडाउन के चौथे चरण में गृह मंत्रालय की ओर से 21 सितंबर को स्कूलों एवं कालेजों को खोलने की अनुमति दे दी गई। जिसके बाद आज से स्कूल-कालेज खोले गए। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि सरकारी स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति नगण्य रही। कुछ निजी संस्थानों में छात्रों की मौजूदगी करीब 50 फीसदी तक देखी गयी।
इस मुद्दे पर बात करते हुए जम्मू के माडल हायर सैकेंडरी स्कूल के प्राचार्य सुनील शर्मा ने बताया कि केन्द्र सरकार एवं प्रदेश सरकार की ओर से जारी दिशा निर्देशों का पालन करते हुए आज से स्कूलों को 50 प्रतिशत स्टाफ के साथ खोला गया है। सरकार ने कक्षा नौ से 12वीं के छात्रों को स्वैच्छिक आधार पर स्कूलों में आने की अनुमति दी है।
श्री शर्मा ने बताया कि इससे पूर्व स्कूल को प्रशासन की ओर से क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया था जिसमें कई कोरोना संक्रमित लोगों को ठहराया गया था। वहीं प्रशासन की ओर से जारी आदेशानुसार उनकी ओर से पहले स्कूलों की अच्छी तरह से साफ सफाई की गई, क्षतिग्रस्त हुए कमरों की मरम्मत की गई। इसके अलावा पूरा स्कूल विशेष रूप से सैनेटाईज किया गया जिसके बाद फाॅगिंग की गई। आज से कोविड-19 की मानक प्रक्रिया के अनुपालन के साथ स्कूलों को खोला गया है।
उन्होंने कहा कि स्कूलों के छात्र केवल अपने परिजनों की इच्छानुसार ही आ सकते हैं जिसमें परिजनों द्वारा स्कूल प्रबंधन की ओर से जारी एक फार्म को भर कर अपने बच्चे की पूरी जिम्मेदारी ली जाएगी कि अगर स्कूल में किसी भी प्रकार से उनके बच्चों को कोविड-19 का संक्रमण होता है उसके लिए वह स्वंय जिम्मेदार होगें।
इसी बीच कुछ अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उन्हें गुमराह किया गया है जबकि उन्हे कोई भी जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि सरकार एवं स्कूल की ओर से ठीकरा उनके सिर पर फोडा गया है जिसके बाद बच्चों की पूरी जिम्मेदारी स्कूल में अभिभावकों के ऊपर डाली गई है जिसे वह कभी भी सहन नहीं करेगें। उन्होंने कहा कि वह कभी भी अपनी मर्जी के अनुसार लिखित में अपनी राय नहीं देगें कि उनके बच्चें स्कूल में जाएं।
उन्होंने कहा कि सरकार अगर स्कूल खोल रही है तो उसकी जिम्मेदारी भी उसे लेनी चाहिए।
इस बीच छात्रों ने एक लंबे अंतराल के बाद स्कूल में आने और सहपाठियों से मिलने पर प्रसन्नता व्यक्त की। सरकार की तरफ से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हर बच्चा सभी दिशा-निर्देशों का पालन करे और सुरक्षा तथा स्वास्थ्य मानक सुनिश्चित करने के लिए पूर्ण सामाजिक दूरी और स्वच्छता बनाए रखें तथा बच्चे उचित सावधानी बरतते हुए कोविड-19 के संबंध में सरकारी नियमों का पालन करें।
विद्यार्थियों को सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार आवश्यक फेस मास्क और हैंड सेनिटाइज़र प्रदान किया जाएगा और यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे स्कूल जाने पर बेल्ट, रिंग या कलाई घड़ी नहीं पहनेंगे।