वाराणसी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्वप्न गुरुवार को इस दृष्टिकोण से साकार होता दिखा कि उनके संसदीय क्षेत्र और भोलेनाथ की नगरी काशी में छुआछूत मिटती हुई एवं समरसता आती दिखी।
यह एक ऐसा ऐतिहासिक पल था जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ नेता एवं मुस्लिम राष्ट्रीय मंच तथा भारतीय क्रिश्चियन मंच के मुख्य संरक्षक इंद्रेश कुमार ने बड़ी तादाद में दलितों एवं आदिवासियों को साथ लेकर मंदिर में प्रवेश किया।
दलित समाज की महिलाओं ने कॉरिडोर देखकर श्री मोदी को आशीर्वाद दिया और कहा कि प्रधानमंत्री ने इतना सुंदर मन्दिर बनवा दिया, उनकी उम्र बहुत लंबी हो और वह सदा खुश रहें। दलित समाज इस मंदिर निर्माण के लिए उनका ऋणी रहेगा।
इस अवसर पर श्री कुमार ने कहा कि सामाजिक समरसता एवं समानता की क्रांति की शुरुआत हो चुकी है। अब गांव-गांव से चलो विश्वनाथ दरबार का नारा गूंजेगा और दलित, जनजातीय समाज अयोध्या, काशी और मथुरा की ओर दर्शन पूजन करने को निकलेगा और भारतीय संस्कृति को दुनिया में प्रसारित करेगा।
मंदिर में दर्शन कराने के साथ-साथ मां गंगा का जल पिलाकर श्री कुमार ने दलित समाज की महिलाओं की बाबा विश्वनाथ से जुड़ाव पुख्ता किया। दर्शन के दौरान महिलाएं ओम नमः शिवाय का जाप करते हुए चल रही थीं। इस मौके पर दलित और आदिवासी समाज की महिलाओं और पुरुषों ने अविभूत होकर कहा कि भगवान से ये रिश्ता अब नहीं टूटेगा। उन्होंने कहा कि मंदिर जाकर लगा कि हमारा धर्म कितना महान है।
आजाद भारत की पहली घटना है, जब इतनी बड़ी संख्या में पहली बार इस समाज की महिलाओं ने श्री कुमार के नेतृत्व में बाबा विश्वनाथ मंदिर में प्रवेश किया। काशी के धर्माचार्य महंत अवध किशोर दास जी ने काशी के संतों का प्रतिनिधित्व किया। दलित समाज की महिलाओं का नेतृत्व लक्ष्मीना देवी ने और मुसहर समाज का नेतृत्व किशन बनवासी ने किया। अल्पसंख्यक समाज का नेतृत्व नाजनीन अंसारी कर रहे थे।
भारत के संविधान ने भले ही दलित समुदाय के लोगों को मंदिर में प्रवेश की आज़ादी दी हो लेकिन कोई उनको प्रेरित नहीं कर पाया और न ही उनका संकोच खत्म कर पाया। रामपंथ और विशाल भारत संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में भारत के इतिहास में समानता, बंधुत्व और प्रेम की क्रांति बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर से निकल कर पूरी दुनियां में गयी, यह आज इतिहास में दर्ज हो गया।
मुसहर, धरकार के साथ अन्य दलित जातियों की महिलाओं ने पहली बार विश्वनाथ मंदिर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शीर्ष नेता श्री कुमार और विशाल भारत संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं रामपंथ के पंथाचार्य डॉ राजीव श्रीगुरुजी के साथ प्रवेश किया। दलित और मुसहर बस्ती में 15 दिन से महिलाएं दर्शन की तैयारी कर रही थीं।
काशी के आस-पास के जिलों से भी आये दलित परिवार उत्साहित थे। बाबा से मिलने के लिए 51 महिला-पुरुषों ने जब सुभाष भवन से हर-हर महादेव और जय सियाराम का उदघोष करते हुए कूच किया तो नजारा देखने लायक था। भगवान से मिलने की खुशी की लहर जो चेहरे पर थी, वह सैकड़ों वर्षों बाद दिखी।
मुसहर समाज के लोगों के लिए यह अद्भुत क्षण था, दर्शन करके जब दलित समाज के लोग बाहर निकले तो जौनपुर के किशन बनवासी रो पड़े। किशन ने कहा कि मुसहर समाज को अब तक बाबा से क्यों दूर रखा गया। उन्होंने कहा, “आज हम धन्य हो गए, हमारा मुसहर समाज इन्द्रेश कुमार और डॉ० राजीव श्रीगुरुजी का सदा ऋणी रहेगा।”
डॉ राजीव श्रीगुरुजी ने कहा कि इतिहास में समानता और समरसता के साथ दलित समुदाय को सनातन धर्म रक्षक के रूप में इस घटना को याद किया जाएगा।