इटावा,चाचा (शिवपाल सिंह यादव) और भतीजे (अखिलेश यादव ) के बीच चल रहा सत्ता संग्राम थमने का नाम नही ले रहा है । श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) अध्यक्ष शिवपाल यादव ने युदवशिंयो को बधाई पत्र जारी कर समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव का नाम लिये बगैर उनकी तुलना द्वापर युग के कंस से कर दी।
जसवंतनगर विधायक के पैड पर शिवपाल सिंह यादव ने जारी बधाई संदेश में शिवपाल ने भगवद्गीता का उल्लेख कर यादव समाज से अनूठी अपील कर डाली । पिता को छल बल से अपमानित कर पद से हटाने वाले कंस का जिक्र करते हुए शिवपाल ने इशारों ही इशारों में अखिलेश पर निशाना साधा।
यदुवंशियों को संबोधित चिट्ठी में उन्होने कहा “ समाज में जब भी कोई कंस अपने (पूज्य) पिता को छल बल से अपमानित कर पद से हटाकर अनधिकृत आधिपत्य स्थापित करता है तो धर्म की रक्षा के लिए माँ यशोदा के लाल ग्वालों के सखा योगेश्वर श्रीकृष्ण अवतार लेते हैं।”
उन्होंने गीता में भगवान कृष्ण के संदेश “यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम। ”, का उल्लखेख करते हुए अत्याचारियों को दंड देकर धर्म की स्थापना किए जाने की बात कही है। शिवपाल ने यदुवंशी वीरों का आह्वान करते हुए आगे लिखा कि प्रसपा भी ईश्वर द्वारा रचित किसी विराट नियति और विधान का परिणाम है। धर्म की रक्षा में दायित्व निभाने की बात करते हुए समाज में शांति, समरसता, एकता और लोक कल्याण के लिए सभी से अपील की।
शिवपाल ने ग्वाल कुमारों और यदुवंश के पालनहारों को लिखी आठ लाइन की छोटी सी कविता भी साझा की, जिसकी अंतिम पंक्तियां हैं- मैं चला धर्म ध्वज लिए हुए, अपना कर्तव्य निभाने को, आह्वान तुम्हारा यादव वीरों,
देर न करना आने को।
गौरतलब है कि सपा की पूर्ववर्ती सरकार के समय से ही अखिलेश यादव के साथ शिवपाल की अनबन चल रही है। यहां तक कि चाचा शिवपाल ने सपा से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना ली। चाचा-भतीजे में गाहे-बगाहे वार-पलटवार चलता रहता है। हालांकि मुलायम अभी भी पूरे परिवार को एकसूत्र में बांधे रखने की कोशिश में लगे रहते हैं।
शिवपाल सिंह यादव ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर देश और प्रदेश वासियों को बधाई देते हुए कहा कि हम लोग तो कृष्ण के वंशज हैं। संसार में सबसे अधिक मानने वाले लोग भगवान श्री कृष्ण के ही है। भगवान श्री कृष्ण ने हमेशा धर्म की लड़ाई लड़ी है जाति की नही । उन्होने कहा कि वह अपने आप को सपा गठबंधन मानते रहे लेकिन सपा ने उन्हे कभी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं माना इसलिए वो खुद ही ऐसे गठबंधन से अलग हो गए ।