नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय के वकीलों के संगठन ‘सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन’ (एससीबीए) में आतंरिक कलह गुरुवार को उस वक्त सामने आ गया जब एसोसिएशन के सचिव अशोक अरोड़ा ने अध्यक्ष दुष्यंत दवे को पद से हटाने के लिए ‘आपात आम बैठक’ बुलायी।
श्री दवे ने एससीबीए के सचिव के इस कदम को गैर-कानूनी, अनुचित और दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है।
श्री अरोड़ा ने एससीबीए नियमावली के नियम 22 का इस्तेमाल करते हुए यह बैठक बुलाई है, जिसमें तीन बिंदुओं पर चर्चा की जानी है, जिसमें एक कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तारीफ करने के लिए उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अरुण मिश्रा के खिलाफ ‘अनधिकृत’ तरीके से निंदा प्रस्ताव जारी करने के वास्ते श्री दवे को अध्यक्ष पद से हटाना और उनकी एससीबीए की प्राथमिक सदस्यता रद्द करना शामिल है।
श्री दवे ने अंतरराष्ट्रीय न्यायिक सम्मेलन में श्री मोदी की तारीफ करने के लिए न्यायमूर्ति मिश्रा के खिलाफ 25 फरवरी 2020 को कथित तौर पर ‘अनधिकृत’ संकल्प जारी किया था।
एससीबीए सचिव ने श्री दवे पर एसोसिएशन के कार्यालय का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए करने का आरोप लगाया है। श्री अरोड़ा ने बैठक के एजेंडे में कहा है कि श्री दवे ने बार के हितों के खिलाफ काम किया है और उन्हें अध्यक्ष पद के साथ-साथ प्राथमिक सदस्यता से भी हटाया जाना चाहिए।
सचिव की ओर से सोमवार (11 मई) साढ़े चार बजे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये यह असाधारण बैठक बुलायी गयी है।
एससीबीए अध्यक्ष पद से श्री दवे को हटाने की क़वायद की वजह एससीबीए का 25 फरवरी का प्रस्ताव है जिसमें न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की टिप्पणी के खिलाफ इस आधार पर कड़ी प्रतिक्रिया दी गई थी कि ऐसा आचरण न्यायिक स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के कुछ वकील श्री दवे के उस प्रस्ताव के खिलाफ भड़क गए हैं और उन्हें (श्री दवे को) अध्यक्ष पद से हटाने की मांग कर रहे हैं।
श्री दवे ने एससीबीए सचिव द्वारा बुलाई गई इस बैठक को गैरकानूनी करार दिया है। उन्होंने बार के सभी वकीलों को पत्र लिखकर कहा है, “मैं आप सभी का ध्यान सचिव अशोक अरोड़ा के प्रयासों की ओर दिलाने के लिए यह पत्र लिख रहा हूं, जो आपको उनके मंसूबे के बारे में बताएगा। पूरी कवायद अवैध और अनुचित है। कार्यकारिणी समिति ने ऐसी किसी भी बैठक को बुलाने का फैसला नहीं किया है। इसलिए पूरी कवायद दुर्भाग्यपूर्ण और गलत है। इसका कोई उद्देश्य नहीं होगा और न ही यह कोई और लक्ष्य हासिल कर सकती है, सिवाय इस बात के कि एससीबीए की प्रतिष्ठा को धूमिल किया जाए।”
उन्होंने आगे लिखा है, “मैं विधिपूर्वक निर्वाचित अध्यक्ष हूं और कार्यकाल पूरा होने तक आपकी सेवा करता रहूंगा। यह प्रयास सभी प्रक्रिया का उल्लंघन करता है और इसका कोई आधार नहीं है। मुझे आपने चुना है और इसकी वजह से मैं अपनी क्षमताओं के अनुसार आपकी सेवा कर रहा हूं। केवल आपके पास कार्रवाई की शक्ति और अधिकार है, न कि व्यक्तिगत एजेंडे को चला रहे किसी भी व्यक्ति के पास। इस महान संस्थान की गरिमा और सम्मान दाव पर है। इसलिए आपको सूचित कर रहा हूं कि मैं अपना कार्यकाल पूरा करना जारी रखूंगा और मुझे कोई व्यक्ति रोक नहीं पाएगा।”
गौरतलब है कि वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दावे मोदी सरकार के मुखर विरोधी रहे हैं। श्री दवे, कोर्ट के भीतर और बाहर दोनों जगह मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं।