नयी दिल्ली , पूर्व सांसद व बाहुबली पर सुप्रीम कोर्ट के तेवर सख्त होने के बाद, कड़ी कार्यवाही हो गयी है।
उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के पूर्व सांसद एवं बाहुबलि अतीक अहमद पर शिकंजा कसते हुए उसके खिलाफ जेल में व्यवसायी का अपहरण कर पिटाई किये जाने के मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने तथा घटना में शामिल जेल अधिकारियों को मंगलवार को निलंबित करने का आदेश दिया।
मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सीबीआई को अतीक अहमद और उनके सहयोगियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया है।
यह आदेश रियल एस्टेट डीलर मोहित जायसवाल के कथित अपहरण और उत्पीड़न के मामले दिया गया है।
इसके साथ ही अतीक अहमद की जेल भी बदल दी गई है।
अभी अतीक उत्तर प्रदेश के नैनी जेल में बंद हैं, उन्हें गुजरात जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया है।
गत वर्ष दिसंबर में रियल एस्टेट डीलर मोहित जायसवाल का अपहरण कर उसे देवरिया जेल में स्थित अपने सेल में बुलवाकर उसकी बेरहमी से पिटाई कराई थी।
न्यायालय ने अतीक अहमद के खिलाफ सभी लंबित मामलों का जल्द निपटारा करने को भी कहा है।
साथ ही शीर्ष अदालत ने इस मामले में सभी गवाहों को संरक्षण देने का भी आदेश दिया है।
उसके खिलाफ दर्ज सभी मामलों की अद्यतन जानकारी चार सप्ताह के भीतर देने का भी आदेश दिया है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने न्यायालय में कहा था कि इस मामले में विभागीय जांच कराई गई, जिसमें जेल अधीक्षक समेत चार पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई गई।
घटना के बाद अतीक को डिस्ट्रिक्ट जेल देवरिया से बरेली जेल भेज दिया गया।
उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा था अतीक अहमद के खिलाफ़ 1979 से 2019 तक कुल 109 मामले लंबित है।
सत्रह केस धारा 302, 12 केस गैंगेस्टर एक्ट, आठ केस आर्म्स एक्ट और चार मामले गुंडा एक्ट के तहत दर्ज है।
अतीक अहमद के खिलाफ आठ मामले 2015 से 2019 में दर्ज किए गए, जिनमें अभी जांच चल रही है जिनमें दो मामले धारा 302 के भी शामिल है।