नयी दिल्ली, उच्चतम न्यायालय ने अन्य पिछड़े वर्ग के एक प्रत्याशी को सामान्य श्रेणी में शामिल होने का फैसला रद्द करने के मप्र उच्च न्यायालय के फैसले पर मंगलवार को रोक लगा दी। उच्च न्यायालय ने लोक सेवा आयोग की परीक्षा में पहला स्थान प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी को सामान्य वर्ग में जाने की अनुमति देने के मप्र लोक लोक आयोग का निर्णय निरस्त कर दिया था।
न्यायमूर्ति उदय यू ललित ,न्यायमूर्ति एम एम शांतानागौडार और न्यायमूति विनीत सरन की पीठ ने वीडियो कांफ्रेन्स के माध्यम से इस मामले की सुनवाई के दौरान अभ्यर्थी साधना सिंह दांगी की याचिका पर दूसरे पक्षकारों को नोटिस जारी किये। पीठ ने इस मामले को अब जुलाई के अंतिम सप्ताह मे सुनवाई के लिये सूचीबद्ध कर दिया है।
पीठ ने अपने आदेश मे कहा कि यह याचिका लंबित रहने के दौरान उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगी रहेगी।
न्यायालय ने इस मामले में सभी आवेदनकर्ताओं को हस्तक्षेप की अनुमति प्रदान कर दी है। न्यायालय ने सभी याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे दो सप्ताह के भीतर इस मामले में अपने हलफनामे दाखिल करें।
साधना दांगी इस परीक्षा मे अन्य पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी के रूप में शामिल हुयी थी और परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर राज्य लोक सेवा आयोग ने उन्हें सामान्य वर्ग में नियुक्ति प्रदान की थी।
हालाकि, परीक्षा के नतीजे आने के बाद साधना ने आरक्षण के आधार पर पात्रता नही लेने का निर्णय किया।
पिंकी असाति और कुछ अन्य ने आयोग के फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
मप्र उच्च न्यायालय ने 29 अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि मप्र लोक सेवा आयोग द्वारा 92 महिला अभ्यर्थियों को ओबीसी, अनुसूचति जाति और जनजाति के लिये आरक्षित सीटें आबंटित करने के मामले में अपनायी गयी प्रक्रिया सही नहीं थी।
उच्च न्यायालय ने आयोग द्वारा महिलाओं के लिये आरक्षित दूसरे वर्ग के प्रत्याशियों के दावों को नजरअंदाज करके सीट आबंटित करने पर सहमति व्यक्त नहीं की थी।