तबरेज़ अंसारी ‘मॉब लिंचिंग’ मामले में, पुलिस ने आरोपियों से हत्या का आरोप हटाया
September 11, 2019
सरायकेला, झारखंड पुलिस ने तबरेज़ अंसारी की ‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ हत्या) मामले में 11 आरोपियों के खिलाफ हत्या के आरोप को गैर इरादतन हत्या में तब्दील करने के अपने फैसले का बुधवार को पुरजोर बचाव किया।
पुलिस ने कहा कि यह मामले की जांच और मेडिकल रिपोर्ट पर आधारित है।
कुछ महीने पहले अंसारी (24) को कथित चोरी को लेकर एक खंभे से बांध कर लोहे की सरिया से पीटे जाने और ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए मजबूर करने की घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर आया था।
साथ ही, राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर भी इसे दिखाया गया था।
सरायकेला-खरसावां जिला पुलिस ने 13 नामजद आरोपियों में 11 के खिलाफ 29 जुलाई को आरोप पत्र दाखिल किया था।
लेकिन इन 11 आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 के तहत लगाये गए हत्या के आरोप को हटा लिया गया है और वे अब आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत मुकदमे का सामना करेंगे।
पुलिस अधीक्षक कार्तिक एस ने बताया, ‘‘ हमने प्राधिकारियों से सलाह-मशविरे के बाद धारा 302 को धारा 304 में बदलने का फैसला किया है।
वहीं, एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप हल्के किये जाने पर मंगलवार को तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि इस बात की अधिक गुंजाइश है कि अभियोजन लचर तरीके से काम करने की अपनी ओर से सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेगा।
आरोप हल्के किये जाने के कदम को लेकर टि्वटर पर भी लोगों ने सवाल किये।
कार्तिक से जब पूछा गया कि क्या पुलिस को चंडीगढ़ से केंद्रीय फॉरेंसिक प्रयोगशाला की रिपोर्ट मिल गई है?
तो उन्होंने ने ‘‘हां’’ में जवाब दिया लेकिन कोई ब्योरा देने से इनकार कर दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि अंसारी पर भीड़ के हमले की वीडियो से ‘छेड़छाड़ नहीं’ की गई है लेकिन वीडियो का ऑडियो के साथ तालमेल नहीं है।
अंसारी की पत्नी शाइस्ता परवीन द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मंजू कुमारी की अदालत में दायर याचिका पर कार्तिक ने कहा, ‘‘चूंकि यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 295 (ए) (किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक मान्यताओं का दुर्भावनापूर्ण अपमान करना) के तहत दर्ज किया गया था, इसलिए जिला प्रशासन ने किसी फैसले के लिए इसे राज्य सरकार को भेज दिया है।