नई दिल्ली, सरकारी स्कूल का नाम आते ही एक खंडहरनुमा स्कूल, गायब शिक्षक, थोड़े से गांव के मैले कुचैले बच्चे, बैठने के लिए कुछ के पास टाट पट्टी, स्टेशनरी के नाम पर फटी पुरानी किताबें और लगभग शून्य पढ़ाई का ख्याल आता है. लेकिन यही सरकारी स्कूल कमाल कर सकते …
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