नई दिल्ली,समाजवादी पार्टी ने अंतिम समय में वाराणसी लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बदल दिया था। शालिनी यादव की जगह बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेजबहादुर को सपा-बसपा ने प्रधानमंत्री मोदी के सामने चुनौती पेश करने के लिए उतारा था। लेकिन, अब उनकी उम्मीदवारी रद्द हो गई है।
तेज बहादुर ने कहा कि डीएम के ऊपर दबाव बनाकर नामांकन रद्द कराया गया। प्रमाण पत्र देरी से पहुंचने के कारण आयोग ने ये कदम उठाया है। तेज बहादुर फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा, ‘मेरा नामांकन गलत तरीके से खारिज कर दिया गया है। मुझे कल शाम 6.15 बजे सबूत पेश करने के लिए कहा गया था, हमने सबूत पेश किए, फिर भी मेरा नामांकन खारिज कर दिया गया। हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे।’
इससे पहले चुनाव आयोग ने उनके नामांकन में गलत जानकारी को लेकर उन्हें नोटिस जारी किया था। आज सुबह 11 बजे तक उन्हें नोटिस का जवाब देना था। तेज बहादुर ने चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देते हुए बीजेपी पर आरोप लगाया कि पीएम मोदी के खिलाफ उनकी उम्मीदवारी को खत्म करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि उनके वकील ने चुनाव आयोग को लिखित जवाब दिया है। अब वे वाराणसी के रिटर्निंग ऑफिसर के फैसले की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तेज बहादुर ने पहले निर्दलीय फिर समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर नामांकन किया था।
एक नामांकन-पत्र में उन्होंने बताया था कि उन्हें भ्रष्टाचार के कारण सेना से बर्खास्त किया गया था, लेकिन दूसरे नामांकन में उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी थी। जिला निर्वाचन अधिकारी ने बताया, ‘नामांकन के दौरान उन्होंने एक शपथ-पत्र में बताया था कि उन्हें भ्रष्टाचार के कारण सेना से बर्खास्त किया गया था। लेकिन दूसरे नामांकन में उन्होंने इसकी जानकारी नहीं दी थी। मंगलवार को पर्चो की जांच के बाद तेजबहादुर को नोटिस जारी किया गया, और उन्हें एक मई तक जवाब देने का समय दिया है।’
बीएसएफ कांस्टेबल तेज बहादुर को बर्खास्त कर दिया गया था, दरअसल उन्होंने सैनिकों को परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता पर पिछले वीडियो जारी किया था। इसी के विरोध में तेज बहादुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया। उन्होंने कहा था कि वह सुरक्षा बलों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे। सरकार पर निशाना साधते हुए यादव ने कहा था कि मुझे सच बोलने की वजह से बर्खास्त किया गया। यहां तक कि संसदीय समिति ने मेरे पक्ष में रिपोर्ट दी। इसके बावजूद मुझे नौकरी से बर्खास्त किया गया।