भगवान श्रीकृष्ण के व्यवहारिक ज्ञान का सार, जीवन मे सफलता पाने का महामंत्र

नई दिल्ली,  भगवान श्रीकृष्ण के उपदेश आज भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जितने महाभारत के युद्ध से पूर्व अर्जुन के लिए थे. श्रीकृष्ण की सिखाई गई बातें जीवन में भी तरक्की की नयी राह दिखातीं है. जानिए उनके दिए व्यवहारिक ज्ञान का सार, कैसे आज के प्रतियोगी युग में भी सफलता की गारंटी देता है.

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श्रीकृष्ण ने नियमों और परंपराओं को हमेशा मानव जीवन को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने वाले सहायक के रूप मे माना है। उनहोने हमेशा एेसी परंपराों और नियमों का विरोध किया  और तोड़ा है जिससे आम आदमी का जीवन कष्टमय हो। वह चाहे इंद्र की पूजा को बंद करवाने का काम हो या स्वयं रणछोड़ कहलवाने की घटना। वह क्रांतिकारी विचारों के पोषक रहे हैं। उनका सबसे बड़ा आकर्षण यह है कि वह किसी बंधी-बंधाई लीक पर नहीं चले।

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कृष्‍ण को सबसे बड़ा कूटनीतिज्ञ भी माना जाता है. भगवान श्रीकृष्ण के अनुसार,  जब आपको विरोधि‍यों का पलड़ा भारी हो तब सीधे रास्‍ते से सफलता पाना आसान नहीं होता है.  ऐसे में कूटनीति का रास्‍ता अपनाएं.

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कृष्ण का कर्मयोग जीवन में सफलता के द्वार खोलता है। कृष्ण ने भी अर्जुन से यही कहा था कि बिना किसी लगाव के तुम सिर्फ कर्म पर ध्यान दो।  भय व लिप्सा  रहित नि:स्वार्थ कर्म का संदेश ही सफलता का मूलमंत्र है.

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जीवन मे व्यर्थ चिंता कर अपना समय और स्वास्थय खराब करने से बचने की सलाह श्रीकृष्ण ने दी है। कृष्‍ण्‍ा ने गीता में कहा है- ‘क्यों व्यर्थ चिंता करते हो? किससे व्यर्थ में डरते हो? उन्होने व्यर्थ चिंता न करने और भविष्य की बजाय वर्तमान पर ध्यान केंद्रित करने का मंत्र दिया है. आज भी यही कहा जाता है- Don’t worry, be happy.

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कृष्ण की रणनीति और मानव संसाधन का प्रबंधन कौशल,  प्रबंधन को बेहतर करने के गुर सिखाता है। युद्ध में पांडव और कौरवों की सेना का अनुपात 7:11 था। पांडवों की सेना 15 लाख, 30 हजार थी, तो कौरवों की सेना 24 लाख, दस हजार। ये  कृष्ण की प्रबंधन रणनीति थी कि संख्या मे कम होते हुये भी युद्ध जीत लिया। ने ये सिखाया कि कैसे कम संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल से सफलता पाई जा सकती है। यही फॉर्मूला किसी कारपोरेट कंपनी पर भी लागू होता है।

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उन्होने जीवन मे एक सच्चे दोस्त की महत्ता को बताया है और सच्चे दोस्त के आचरण को निभाया भी है। कृष्ण ने पांडवों  हर मुश्किल वक्त में साथ देकर यह साबित कर दिया  कि वही सच्चे दोस्त होते हैं जो कठिन से कठिन परिस्थिति में आपका साथ देते हैं. भगवान कृष्ण ने अपने मित्र सुदामा की गरीबी देखी तो उसके घर पंहुचने से पहले ही उसकी झोंपड़ी की जगह महल बना दिया. इसलिए कहते हैं कि दोस्‍ती कृष्‍ण से करनी सीखनी चा‍हिए जो बिना कहे दोस्त की मदद कर दे. मित्र ऐसे बनाईए जो हर मुश्किल परिस्थिति में आपका साथ दे.

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