लखनऊ , अधिकारियों को इस लिए 1 दिन का वेतन देना होगा। उत्तर प्रदेश की सड़कों पर घूम रहे गोवंश लोगों के लिए परेशानी का सबब बन रहे हैं। पुलिस और प्रशासन के लोग उन पर काबू पाने की जुगत में जुटे हैं। ऐसे में अलीगढ़ और लखनऊ के डीएम ने एक आदेश ने अफसरों को मुश्किल में डाल दिया है। अलीगढ़ के डीएम ने जहां जिला प्रशासन के अधिकारियों को गो कल्याण के लिए अपना एक दिन का वेतन दान करने का कहा है, वहीं लखनऊ के डीएम ने फरमान जारी किया है कि पशु चिकित्साधिकारी गायों के चारे की जिम्मेदारी लेंगे।
सड़कों पर घूम रहे गोवंश से कई बार सड़क हादसे हो रहे हैं। यही नहीं किसानों की फसलें भी बर्बाद हो रही हैं। प्रदेश के गुस्साए किसान प्राथमिक स्कूलों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में गोवंश को बंद कर रहे हैं। शासन ने भी गोशालाएं बनवाने की घोषणा की है। हालांकि अभी तक छुट्टा घूमने वाले गोवंश से लोगों को निजात नहीं मिली है। अलीगढ़ की डीएम सीबी सिंह ने जिला प्रशासन के अधिकारियों से अपना एक दिन का वेतन गायों के लिए दान करने को कहा गया है। वे यह रकम ऐनिमल वेलफेयर सोसायटी में जमा करा सकते हैं। डीएम ने कहा कि जिले के लिए शासन ने 2.1 करोड़ रुपये भी जारी किए हैं।
डीएम ने बताया कि सरकार ने गायों के लिए जो बजट जारी किया है वह पर्याप्त नहीं है। जिले में 30,000 आवारा गोवंश हैं। रोज एक गोवंश को खिलाने में तीस रुपये का खर्च आता है। ऐसे में सरकारी बजट पूरा नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि वह गायों के लिए सोसायटी में 11,000 रुपये अपनी ओर से जमा करा चुके हैं। वहीं, जिला प्रशासन के हर अधिकारी को भी एक दिन का वेतन देने को कहा गया है। सीडीओ और एसडीएम समेत लगभग हर अधिकारी यह रकम सोसायटी में जमा करा चुके हैं।
लखनऊ के डीएम कौशल राज शर्मा ने एक नोटिस जारी किया। यह नोटिस उन्होंने पशु चिकित्साधिकारियों को संबोधित करके जारी किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि आवारा गोवंश जिन्हें अस्थाई गोशालाओं में रखा गया है, उनके खाने की जिम्मेदारी पशु चिकित्साधिकारियों की है। वे इसकी व्यवस्था सुनिश्चित करें। उन्होंने आगे लिखा है, ‘अगर किसी गोवंश की चिकित्सकीय लापरवाही से मौत हुई तो इसकी जिम्मेदारी आपकी होगी।’
डीएम ने आदेश में लिखा है कि आवारा पशुओं की टैगिंग, नसबंदी और मेडिकल ट्रीटमेंट का इंतजाम ठीक से करें। इस कार्य में पशुधन विस्तार अधिकारी और चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों को लगाया जाए। इसके अलावा सुविधानुसार भी कर्मचारियों को इस कार्य में लगाया जा सकता है। लखनऊ डीएम के इस निर्देश के बाद पशु चिकित्साधिकारियों में हड़कंप मच गया है। उनका कहना है कि वे अपने पास से पशुओं के खाने की व्यवस्था कहां से करें? उनका कहना है कि डीएम के इस निर्देश से ऐसा लगता है कि अब हम अपना वेतन गायों को ही खिलाने में खर्च कर दें।