नयी दिल्ली ,कोविड-19 के समय वित्तीय संकट में चली गई कंपनियों को दिवाला समाधान प्रक्रिया से छूट देने वाले विधेयक पर आज संसद की मुहर लग गई।
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2020 को लोकसभा ने सर्वसम्मति से ध्वनि मत से पारित कर दिया। राज्यसभा पहले ही इसे मंजूरी प्रदान कर चुकी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत मामलों में अचानक बड़ी तेजी आने की आशंका नहीं है। उन्होंने कहा कि समाधान प्रक्रिया के अलावा भी कई विकल्प है। उद्योगों को पूँजी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने कई योजनाओं की घोषणा की है। अर्थव्यवस्था पटरी पर आ रही है और कंपनियों में काम शुरू हो गया है। आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत की गई घोषणाओं के तहत सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों को 1.60 लाख करोड़ रुपये की राशि जारी की जा चुकी है।
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत दिवाला समाधान प्रक्रिया शुरू करने के लिए चूक की न्यूनतम राशि सीमा बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दी गई है। कईं छोटी तथा मध्यम कंपनियाँ इसके दायरे में ही नहीं आयेंगी। इस दौरान सरकार की भी कोशिश होगी कि जिन कंपनियों की वित्तीय स्थिति कमजोर हो गई है उन्हें दुबारा खड़े करने में मदद की जाये। यदि इसके बावजूद उनकी स्थिति नहीं सुधरती है तो अंत में उनकी संपत्ति बेचने के अलावा कोई उपाय नहीं होगा, लेकिन उनकी संख्या काफी कम होगी।
उन्होंने बताया कि आज पारित विधेयक में यह प्रावधान है कि 25 मार्च 2020 से एक साल के दौरान यदि कोई कंपनी चूक करती है तो इस चूक के लिए भविष्य में कभी भी उसके खिलाफ दिवाला प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। इसमें यह भी कहा गया है कि कोविड-19 काल में चूक करने वाली कंपनी निदेशकों के खिलाफ भी दिवाला संहिता के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकेगी। इसमें छोटी तथा मध्यम कंपनियों समेत सभी प्रकार की कंपनियों को छूट दी गई है।