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ये बड़ा सवाल उठा रही है एमएक्‍स की ओरिजनल सीरीज….

दिल्‍ली, एमएक्‍स की ओरिजनल सीरीज ये बड़ा सवाल उठा रही है।  हम एक ऐसे भारत में रहते हैं, जहां हमें भाषा के आधार पर परखा जाता है। इसमें कोई शक नहीं कि एक बेहतरीन कैफे में समय बेहद कूल अनुभव है, लेकिन एक टपरी में बैठकर चाय पीने का भी अपना ही मजा है और यह आत्‍मा को संतुष्‍ट करता है।

किसी को ‘ब्रो’ कहकर बुलाना चलन नया है लेकिन उन्‍हें भाई कहकर बुलाना अपनेपन का अहसास दिलाता है। तो फिर हम चीजों को इतना जटिल क्‍यों बना देते हैं, जब हम कोई चीज आसानी से हिन्‍दी में बोल सकते हैं तो फिर उसे अंग्रेजी में बोलने का संघर्ष क्‍यों करते हैं? इसमें कहा बताया गया है चाहे देसी हो या अंग्रेजी, यह तो केवल विचार हैं भाषा से कोई फर्क नहीं पड़ता है।

भारत का प्रमुख एंटरटेनमेन्‍ट प्‍लेटफॉर्म एमएक्‍स प्‍लेयर एक ऐसी दुनिया लेकर आया है, जिसके बारे में सबको पता है, लेकिन एमएक्‍स ओरिजनल सीरीज ‘थिंकिस्‍तान- आइडिया जिसका, इंडिया उसका’ के साथ ऐसा जान पड़ता है कि इसके बारे में ज्‍यादातर लोग अनजान हैं। आज के दौर का यह ड्रामा एमएक्‍स प्‍लेयर पर स्‍ट्रीम होगा।

 11 एपिसोड वाली इस सीरीज में दो बिलकुल अलग किरदारों को दिखाया गया है, जोकि विज्ञापन की इस लुभावनी और जुनूनी दुनिया में संघर्ष कर रहे हैं। अमित (नवीन कस्‍तुरिया अभिनीत) हिन्‍दी बोलने वाला एक कॉपी राइटर है, जोकि भोपाल का रहने वाला है। वहीं इंग्‍लिश ट्रेनी कॉपी राइटर हेमा (श्रवण रेड्डी) एक सौम्‍य, महानगर का रहने वाला पढ़ा-लिखा व्‍यक्‍ति है।

अमित और हेमा भाषा और सामाजिक स्‍तर के कारण दो अलग-अलग वर्ग को दर्शाते हैं, जोकि आज के जमाने में भी भारत में नज़र आता है। लेकिन जब हमें इस बात का अहसास होता है कि भाषा कोई चीज नहीं होती है और सबसे बड़ी बात कि यह हमें एक करने की बजाय बांट रही है?

रिपोर्टर-आभा यादव