नई दिल्ली, आमतौर पर बहादुरी के पुरस्कार सैनिकों को मिलते हैं. कई बार आम इंसानों को भी बहादुरी दिखाने के लिए खास तरह के अवार्ड दिए जाते हैं .लेकिन किसी चूहे को बहादुरी के लिए गोल्ड मेडल दिए जाने की बात आपने शायद ही सुना होगा. लेकिन एक अफ्रीकी चूहे को गैलेंटरी अवार्ड दिया गया है. उसे यह पुरस्कार कंबोडिया में लैंडमाइन्स खोजने के लिए दिया गया है.
ब्रिटेन की एक चैरिटी संस्था ने अफ्रीकी नस्ल के एक बड़े चूहे को उसकी बहादुरी के लिए स्वर्ण पदक से नवाजा है। इस चूहे ने कंबोडिया में कई बारूदी सुरंगों को हटाने में मदद की थी। वह इस पुरस्कार को जीतने वाला पहला चूहा है। इस अफ्रीकी चूहे का नाम मागावा है और इसकी उम्र महज सात वर्ष है। मागावा ने अपने सूंघने की क्षमता से 39 बारूदी सुरंगों का पता लगाया। इसके अलावा उसने 28 दूसरे ऐसे गोला बारूद का भी पता लगाया जो अभी तक फटे नहीं थे। शुक्रवार को ब्रिटेन की एक चैरिटी संस्था पीडीएसए ने इस चूहे को सम्मानित किया।
मागावा ने दक्षिण पूर्व एशियाई देश कंबोडिया में 15 लाख वर्ग फीट के इलाके को बारूदी सुरंगों से मुक्त बनाने में मदद की थी। इस जगह की तुलना फुटबॉल की 20 पिचों से की जा सकती है। कंबोडिया के माइन एक्शन सेंटर (सीएमएसी) का कहना है कि अब भी 60 लाख वर्ग फीट का इलाका ऐसा बचा है जिसका पता लगाया जाना बाकी है। बारूदी सुरंग हटाने के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन हालो ट्रस्ट का कहना है कि इन बारूदी सुरंगों के कारण 1979 से अब तक 64 हजार लोग मारे जा चुके हैं जबकि 25 हजार से ज्यादा अपंग हुए हैं।
मागावा का वजन महज 1.2 किलो है और वह 70 सेंटीमीटर लंबा है। इससे यह पता चलता है कि उसमें इतना वजन नहीं है कि वह बारूदी सुरंगों के ऊपर से गुजरे तो वे फट जाए। वह आधे घंटे में टेनिस कोर्ट के बराबर जगह की तलाशी ले सकता है।
प्रशिक्षण के दौरान मागावा को सिखाया गया उसे इन विस्फोटकों में कैसे रासायनिक तत्वों को पता लगाना है और बेकार पड़ी धातु को अनदेखा करना है। एक बार उन्हें विस्फोटक मिल जाए, तो फिर वे अपने इंसानी साथियों को उसके बारे में सचेत कर सकता है। उसके इस प्रशिक्षण में कुल एक वर्ष का समय लगा।