पटना, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि गंगा को निर्मल और अविरल बनाने तथा डॉल्फिन मिशन से गंगा किनारे बसे बिहार जैसे राज्य में पर्यटन का विकास होगा।
श्री मोदी ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से केंद्र की नमामि गंगे और अमरुत योजना से संबंधित बिहार में 543.28 करोड़ रुपये की सात परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करने के बाद कहा कि गंगा के किनारे बसे गांव और शहर आस्था और आध्यात्म से जुड़े पर्यटन के प्रमुख केंद्र रहे हैं। गंगा को निर्मल और अविरल बनाने का अभियान जैसे-जैसे आगे बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे इसमें पर्यटन के आधुनिक आयाम भी जुड़ते जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नमामि गंगे मिशन के तहत बिहार सहित पूरे देश में 180 से अधिक घाटों के निर्माण का काम चल रहा है। इनमें से 130 घाट के काम पूरे भी हो चुके हैं। इनके अलावा 40 से अधिक मोक्षधामों का भी काम पूरा किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि देश में गंगा किनारे कई स्थानों पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त रीवर फ्रंट पर भी काम तजी से चल रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि पटना में तो रीवर फ्रंट परियोजना का काम पूरा हो चुका है और मुजफ्फरपुर में भी ऐसा ही रीवर फ्रंट बनाने की परियोजना का शिलान्यास किया गया है। जब मुजफ्फरपुर के अखाड़ा घाट, सीढ़ी घाट और चंदवारा घाट को विकसित कर दिया जाएगा तो यहां पर्यटन का भी बड़ा केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में काफी तजी से काम होगा, काम शुरू होने के बाद पूरा भी होगा। इस बात की कल्पना भी डेढ दशक पहले नहीं की जा सकती थी लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्र सरकार के प्रयासों ने यह सच कर दिखाया है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि इन प्रयासों से आने वाली छठी मैया की पूजा के दौरान बिहार के लोगों विशेषकर महिलाओं की दिक्कतें कम होंगी। उनकी सहुलियत बढ़ेगी। छठी मैया के आशीर्वाद से हम बिहार के ग्रामीण और शहरी इलाकों को गंदे जल, बीमारी बढ़ाने वाले पानी से मुक्ति दिलाने के लिए जी जान से काम करते रहेंगे।”
श्री मोदी ने कहा कि अभी हाल ही में सरकार ने डॉल्फिन मिशन की घोषणा की है। इस मिशन का बहुत बड़ा लाभ गंगा डॉल्फिन को भी होगा। गंगा के संरक्ष्ण के लिए गांगेय डॉल्फिन का संरक्षण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि पटना से लेकर भागलपुर तक गंगा नदी का पूरा विस्तार डॉल्फिन का निवास स्थान है इसलिए इस परियोजना से बिहार को अधिक लाभ होगा। यहां गंगा में जैव विविधता के साथ-साथ पर्यटन को भी बल मिलेगा।