उत्तर प्रदेश मंत्रिपरिषद की बैठक में लिए गए, कई महत्वपूर्ण निर्णय
July 15, 2019
लखनऊ, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में सोमवार को मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रदेश के अलीगढ़ जिले में डिफेंस काॅरिडोर विकसित किए जाने समेत कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार लोक भवन में आज सम्पन्न मंत्रिपरिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश में डिफेंस काॅरिडोर विकसित किए जाने के लिए अलीगढ़ जिले की तहसील खैर के ग्राम अण्डला में अवस्थित कृषि विभाग की 45.489 हेक्टेयर भूमि औद्योगिक विकास विभाग को निःशुल्क अन्तरित करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार पर कोई व्ययभार नहीं पड़ेगा। इससे रक्षा सामग्री के उत्पादन एवं अनुसंधान के साथ.साथ जनसामान्य के लिए रोजगार के अवसर भी सुलभ होंगे।
डिफेंस काॅरिडोर को विकसित किए जाने का उद्देश्य रक्षा क्षेत्र की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए राज्य में सहायक इकाइयों को उनसे जोड़ना, रक्षा क्षेत्र में निर्यातोन्मुख विनिर्माण आधार का विकास करनाए रक्षा तथा एयरोस्पेस क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करते हुए निरन्तर प्रौद्योगिकी उन्नयन सुनिश्चित करना आदि है। इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने नगर निगम लखनऊ एवं नगर निगम गाजियाबाद के लिए म्यूनिसिपल बाॅण्ड जारी करने तथा अवस्थापना विकास निधि आदि के सम्बन्ध में प्रस्ताव को अनुमोदित कर दिया है।
शासन द्वारा अमृत शहर के रूप में चयनित नगरों, नगर निगमों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास तथा निकायों का मार्केट ओरिएण्टेशन बढ़ाने के लिए म्युनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने की कार्यवाही की जा रही है। उत्तर प्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा-154 के अन्तर्गत निकाय, म्युनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने के लिए राज्य सरकार की पूर्वानुमति से सक्षम है। नगर निगम लखनऊ एवं नगर निगम गाजियाबाद के लिए क्रमशः 200 करोड़ रुपए एवं 150 करोड़ रुपए के म्युनिसिपल बाॅण्ड निर्गत करने में आवश्यकतानुसार अवस्थापना विकास निधि से क्रेडिट रेटिंग इनहैन्समेण्ट हेतु धनराशि उपलब्ध करायी जानी है।
अवस्थापना विकास निधि में नगरीय स्थानीय निकायों के तहत अवस्थित अचल सम्पत्तियों के अंतरण विलेखों पर संग्रहीत 02 प्रतिशत अतिरिक्त स्टाम्प शुल्क की धनराशि में से 0.5 प्रतिशत की धनराशि नगरीय स्थानीय निकायों को उपलब्ध करायी जाती है। यह धनराशि प्रतिवर्ष लगभग 600 करोड़ रुपए बनती है। यह धनराशि मार्केट में प्राॅपर्टी ट्रांजेक्शन बढ़ने से प्रत्येक वर्ष बढ़ने की सम्भावना है। म्युनिसिपल बाॅण्ड जारी करने की प्रक्रिया में नगर निगमों में वित्तीय अनुशासन को बढ़ावा मिलने के साथ-साथ सर्विस डिलीवरी में भी प्रोफेशनलिज्म को बढ़ावा मिलेगा। इस योजनान्तर्गत म्युनिसिपल बाॅण्ड के जरिए धनराशि मार्केट से रेज़ करने पर प्रत्येक 100 करोड़ रुपए के सापेक्ष 13 करोड़ रुपए का अनुदान भारत सरकार द्वारा दिया जाएगा।
प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगर निगम ;सम्पत्ति कर ;तृतीय संशोधन नियमावली, 2019 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। उप्र नगर निगम अधिनियम, 1959 की धारा.172 में नगर निगम सीमा में स्थित भवन और भूमि पर सम्पत्ति कर लगाए जाने का प्राविधान है। सम्पत्ति कर के अंतर्गत सामान्य कर ;भवन करद्धए जल कर और जल.निस्सारण कर ;सीवर कर आते हैं। यह कर भवन या भूमि के वार्षिक मूल्य के आधार पर लगाए जाते हैं।
कर.निर्धारण की प्रक्रिया को सरल, पारदर्शी और वस्तुनिष्ठ बनाने के उद्देश्य से नगर निगम अधिनियमए 1959 में संशोधन कर नगर निगमों में आवासीय भवनों के सम्पत्ति कर के लिए स्व.निर्धारण का विकल्प लागू किया गया और नगर निगम ;सम्पत्ति.करद्ध नियमावलीए 2000 बनायी गयी। वर्ष 2009 में नगर निगम अधिनियमए 1959 में संशोधन कर अनावासीय भवनों के कर निर्धारण के लिए भी स्व.कर निर्धारण का प्राविधान कर उ0प्र0 नगर निगम ;सम्पत्ति कर ;द्वितीय संशोधन नियमावलीए 2013 अधिसूचना दिनांक 27 दिसम्बरए 2013 द्वारा प्रख्यापित की गयी।
नगर निगम ;सम्पत्ति कर ;द्वितीय संशोधनद्ध नियमावलीए 2013 में सम्पत्तियों के श्रेणी विभाजन में विसंगति और असमानता को दूर कर इसे तर्कसंगतए सरल और जनहित के अनुकूल बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश नगर निगम ;सम्पत्ति करद्ध ;तृतीय संशोधनद्ध नियमावलीए 2019 प्रख्यापित कर अधिकतम 120 वर्गफीट क्षेत्रफल की दुकानों यथा चाय,दूध, ब्रेड, अण्डों, पान, धोबी, लांण्ड्री, फलों और सब्जियों,फोटोस्टेट, नाई, हेयर ड्रेसर और दर्जी की दुकान पर आवासीय भवनों के लिए नियत दर का डेढ़ गुना कर निर्धारण किया जाना प्रस्तावित है।
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त्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश का राज्य संप्रतीक ;अनुचित प्रयोग प्रतिषेध विधेयक 2019 को आगामी विधान मण्डल सत्र में पुरःस्थापित किये जाने का निर्णय लिया है। राज्य सरकार का प्रतीक चिन्ह ;लोगो राज्य सरकार की गरिमा एवं अधिकारिता का द्योतक होता है। राज्य स्तर पर प्रचलित किसी विधि व्यवस्था के अभाव में राज्य सरकार के प्रतीक चिन्ह का अनाधिकृत प्रयोग फिलहाल दण्डनीय अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। भारत के ष्राज्य संप्रतीकष् के उपयोग को विनियमित करने के लिए भारत सरकार द्वारा ष्भारत का राज्य संप्रतीक ;प्रयोग का विनियमद्ध अधिनियमए 2005ष् बनाया गया है, जिसके अनाधिकृत प्रयोग को दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है।
भारत सरकार द्वारा बनाए गए अधिनियम के अनुरूप ही राज्य सरकार के संप्रतीक चिन्ह के प्रयोग को विनियमित करने तथा उसके अनाधिकृत प्रयोग को दण्डनीय अपराध घोषित करने के उद्देश्य से विधि बनायी जानी है। इस के लिए ष्उत्तर प्रदेश का राज्य संप्रतीक ;अनुचित प्रयोग प्रतिषेधद्ध विधेयकए 2019, के विधान मण्डल के आगामी सत्र में पुनरूस्थापनए विचारण एवं पारण सम्बन्धी प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई है।
प्रवक्ता के अनुसार मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ;राजपत्रित अधिकारी, सेवा ;प्रथम संशोधन, नियमावलीए 2019 के प्रख्यापन का निर्णय लिया है। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में उप निदेशक के पद से संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति किए जाने का प्राविधान उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ;राजपत्रित अधिकारीद्ध सेवा नियमावलीए 1998 में न होने के कारण संयुक्त निदेशक के रिक्त पद को भरा जाना सम्भव नहीं हो पा रहा है।
अतः उप निदेशक के पद से संयुक्त निदेशक के पद पर पदोन्नति करने के लिए चयन प्रक्रिया का प्राविधान करने के निमित्त उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ;राजपत्रित अधिकारीद्ध सेवा नियमावलीए 1998 में संशोधन किए जाने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश उपनिरीक्षक और निरीक्षक ;नागरिक पुलिसद्ध सेवा ;छठवां संशोधनद्ध नियमावलीए 2019 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को अनुमति प्रदान कर दी है। गौरतलब है कि उपनिरीक्षक नागरिक पुलिस सीधी भर्ती के पदों पर वर्तमान में लिखित परीक्षा आयोजित की जाती है।
विद्यमान नियमों में चार अलग.अलग विषयों के लिए;प्रत्येक विषय के 100 अंकद्ध में सेए प्रत्येक विषय में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करने वाले अभ्यर्थी पर्याप्त संख्या में उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। उक्त विद्यमान नियम के स्थान पर चार अलग.अलग विषयों के लिए निर्धारित 400 अंकों में प्रत्येक विषय में 35 प्रतिशत अंक तथा चारों विषयों में कुल 50 प्रतिशत अंक का प्राविधान होने से लिखित परीक्षा में पर्याप्त संख्या में अभ्यर्थी उपलब्ध हो सकेंगे।
मंत्रिपरिषद ने आबकारी नीति वर्ष 2019.20 के कतिपय प्राविधानों के क्रियान्वयन में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के दृष्टिगत संगत प्रस्तरों में संशोधन एवं मदिरा का अपमिश्रण करने तथा ओवर रेटिंग करने पर कठोर कार्रवाई का प्राविधान किए जाने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। आबकारी नीति वर्ष 2019.20 में प्राविधान है कि प्रत्येक आसवनी यह सुनिश्चित करेगी कि मदिरा की आपूर्ति इन्डेन्ट प्राप्ति से 03 दिन के भीतर हो जाए। विलम्ब की दशा में इन्डेन्ट में वांछित निकासी में सन्निहित राजस्व के 0ण्5 प्रतिशत की दर से आसवनी पर प्रतिदिन जुर्माना आरोपित होगा।