लखनऊ , उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ की फसल के लिये यूरिया के पर्याप्त स्टाक का दावा करते हुये चेतावनी दी कि उर्वरकों की कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।
कृषि उत्पादन आयुक्त आलोक सिन्हा ने कहा कि अनुकूल मौसम के कारण खरीफ फसलों की लक्ष्य के अनुसार बुबाई होने तथा विगत सप्ताह अच्छी वर्षा होने के परिपेक्ष्य में पर्याप्त मात्रा में उर्वरकों की व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गयी है।
उन्होने कहा कि प्रदेश में यूरिया उर्वरक का पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है तथा निरन्तर जिलों आपूर्ति सुनिश्चित करायी जा रही है। चालू खरीफ मौसम के अगस्त तक के लक्ष्य 22.89 लाख मीट्रिक टन के सापेक्ष अभी तक 27.31 लाख मी टन यूरिया प्रदेश को उपलब्ध हो चुकी है, जो 119 प्रतिशत है। इस वर्ष अभी तक 20.42 लाख मीट्रिक टन यूरिया का वितरण किया गया है, जबकि गतवर्ष इसी अवधि में वितरण 15.16 लाख मी टन रहा है।
श्री सिन्हा ने बताया कि अब तक गत वर्ष के सापेक्ष पांच लाख मी टन से अधिक खपत प्रदेश में हुई है, जो गतवर्ष की खपत 35 प्रतिशत अधिक है। इसका मुख्य कारण अप्रैल, मई एवं जून माह में अच्छी वर्षा, मौसम की अनुकूलता एवं क्षेत्राच्छादन में वृद्धि रहा।
कृषि उत्पादन आयुक्त ने बताया कि इसी प्रकार चालू खरीफ 2020 के माह अगस्त तक निर्धारित लक्ष्य 4.54लाख मी0 टन आंवटन के सापेक्ष 10.77 लाख मी टन डीएपी, 1.59 लाख मी टन के सापेक्ष 3.08 लाख मी टन एनपीके एवं 0.64 लाख टन आंवटन के सापेक्ष 0.74 लाख मी टन एमओपी उर्वरकों की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता है, जो क्रमशः लक्ष्य का 237,193,115, एवं 226 प्रतिशत है।
श्री सिन्हा ने बताया कि प्रदेश के मुख्य फसल धान में यूरिया टाॅप ड्रसिंग का समय है, इस लिए किसान की बढी हुई माॅग के मद्देनजर कृषि विभाग यूरिया की बिक्री पर कड़ी नजर है। प्रदेश में उर्वरक वितरण शत प्रतिशत पीओएस के माध्यम से कराया जा रहा है।
उन्होेंने बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिये गये है कि उर्वरकों की बिक्री कृषकों की पहचान के आधार पर उनकी जोत बही में अंकित कृषित भूमि एवं फसलवार संस्तुत मात्रा के अनुसार ही उर्वरक उपलब्ध कराये जाये, ताकि महंगे उर्वरकों का असंतुलित प्रयोग एवं कृषि के अतिरिक्त अन्य कार्यो में दुरूपयोग को नियंत्रित किया जा सके। क्रेता कृषकों को उर्वरक खरीद की पर्ची/कैश मेमों आवश्यक रूप से प्राप्त करने के लिये जागरूकता किया गया है। जहां उर्वरक की मांग अधिक है, वहाॅ क्षेत्रीय आधिकारियों/कर्मचारियों की डयूटी लगाकर उर्वरक के बोरो पर अंकित अधिकतम खदरा मूल्य पर ही उर्वरकों की बिक्री/वितरण सुनिश्चित कराया जाय, ताकि कोई उर्वरक विक्रेता किसानों से उर्वरकों की निर्धारित खुदरा मूल्य दर से अधिक मूल्य न ले सके।
मुख्य उर्वरक जैसे डीएपी, एनपीके मिश्रित उर्वरक, काम्लेक्स एवं एमओपी के साथ कम प्रचलित उत्पाद भी खरीदने के लिये उर्वरक विक्रेताओं द्वारा बाध्य न किया जा सके तथा ओवर रेटिंग/ कालाबाजारी भी न हो सके। गड़बड़ी करने वाले थोक/ फुटकर विक्रेताओं के विरूद्ध उर्वरक (नियंत्रण) आदेश, 1985 एवं आवश्यक वस्तु अधिनियम,1955 के अन्तर्गत कठोर कार्यवाही के निर्देश दिये गये है।