भरतपुर रियासत के राजा मान सिंह का जन्म 1921 में हुआ था, राजा मान सिंह बहुत ही स्वाभिमानी व्यक्ति थे. कहा जाता है कि उन्हें आम जनता के बीच रहना ज्यादा पसंद था. ब्रिटेन से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी।
फिर अंग्रेजी शासन में सेना में सेकंड लेफ्टिनेंट भी हो गए. उस समय भरतपुर में लोग देश के साथ रियासत का भी झंडा लगाते थे. बस इसी बात पर अंग्रेजों से ठन गई. नौकरी छोड़ी और राजनीति में आ गए.
राजा मान सिंह विदेश से पढ़ाई करके लौटे थे. जिसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया. उन्हें डींग विधानसभा क्षेत्र से हर चुनाव में जीत हासिल हुई.राजा मान सिंह इस विधानसभा क्षेत्र से 7 बार निर्दलीय विधायक रह चुके थे.
लेकिन 1985 में कांग्रेस ने उनके खिलाफ रिटायर्ड आईएएस अफसर को मैदान में उतारा. उस समय कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजा मान सिंह के झंडे और पोस्टर फाड़कर उनका अपमान किया.
तभी कांग्रेस प्रत्याशी के प्रचार के लिए राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर डींग पहुंचे. इसी दौरान राजा मान सिंह ने अपनी जीप से मुख्यमंत्री के हेलीकॉप्टर और मंच पर टक्कर मार दी थी. इस घटना के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया. चारों तरफ पुलिस तैनात कर दी गई.
घटना के बाद जब 21 फरवरी 1985 को राजा मान सिंह अपने समर्थकों के साथ सरेंडर करने जा रहे थे, तभी डीएसपी भाटी और उनके साथ पुलिस की टीम ने उन्हें रोककर उन पर फायरिंग शुरू कर दी. जिसमें राजा मान सिंह की मौत हो गई.
तब इस मामले ने राजस्थान की राजनीति में तूफान खड़ा कर दिया था.इसके बाद राजा मान सिंह की बेटी ने कोर्ट में इस एनकाउंटर के खिलाफ याचिका दायर की थी, साथ ही इस केस को राजस्थान से दूसरे राज्य में ट्रांसफर करने की भी मांग की थी. राजस्थान का मामला होने की वजह से इसे बाद में मथुरा ट्रांसफर कर दिया गया.
जिसके बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया. इस मामले के कुल 18 आरोपियों में से कोर्ट ने 11 को दोषी ठहराया था. लेकिन 35 साल तक ये केस यूं ही चलता रहा. राजस्थान के 35 साल पुराने इस मामले में कोर्ट ने अब आखिरकार अपना फैसला सुनाया है. 11 पूर्व पुलिसकर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.