काकोरी काण्ड के नायक को क्यों दो दिन पूर्व दी गई फांसी ?
December 17, 2019
जौनपुर, काकोरी काण्ड के महानायक को अंग्रेजों ने फांसी की तारीख से दो दिन पूर्व 17 दिसम्बर 1927 को ही फांसी पर लटका दिया था।
उत्तर प्रदेश में जौनपुर के सरावां गांव स्थित शहीद लाल बहादुर गुप्त स्मारक पर आज हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन आर्मी व लक्ष्मी बाई ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने काकोरी काण्ड के महानायक राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी का 92 वां बलिदान दिवस मनाया। इस अवसर पर कार्यकर्ताओं ने शहीद स्मारक पर मोमबत्ती व अगरबत्ती जलाई और दो मिनट का मौन रख काकोरी काण्ड के महानायक श्री लाहिड़ी को श्रद्धांजलि दी।
शहीद स्मारक पर उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए लक्ष्मी बाई ब्रिगेड की अध्यक्ष मंजीत कौर ने कहा कि महान क्रान्तिकारी राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी का जन्म 23 जून 1901 को बंगाल में हुआ था। देश की आजादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए उन्होने पंडित राम प्रसाद विस्मिलए रोशन सिंह व अशफाक उल्लाह का साथ काम किया। चारो महान क्रान्तिकारियों ने उस समय नौ अगस्त 1925 को काकोरी काण्ड को अंजाम दिया तो अंग्रेजों ने चारो को सजा .ए. मौत का आदेश दिया।
चारो क्रान्तिकारियों को 19 दिसम्बर सन 1927 को फांसी देने की तिथि तय की गयी , मगर अंग्रेजों को लगा कि श्री लाहिड़ी इनके अगुवा हैं , ये 19 दिसम्बर के पूर्व जेल में कुछ और करा सकते है, इसके लिए अंग्रेजों ने फांसी की तारीख से दो दिन पूर्व 17 दिसम्बर 1927 को ही काकोरी काण्ड के महानायक श्री लाहिड़ी को उत्तर प्रदेश के गोण्डा जिला कारागार में फांसी पर लटका दिया। राजेन्द्र नाथ लाहिडी ने फांसी पर चढने से पहले जेलर से हंसते हुये कहा था , मैं मर नहीं रहा बल्कि स्वतंत्र भारत में पुनर्जन्म लेने जा रहा हूँ।