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चमड़ा उद्योग के लिए पर्यावरण अनुकूल तकनीक

laderनई दिल्ली,  वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद  ने चमड़ा प्रसंस्करण से जुड़ी नई तकनीक विकसित की है। यह तकनीक पर्यावरण अनुकूल है और चमड़ा क्षेत्र का आकार 2020 तक 27 अरब डॉलर करने के निर्धारित लक्ष्य को पाने की दिशा में बड़ा कदम है। यह निर्जल क्रोम टेननिंग प्रौद्योगिकी अपनी तरह की अलग प्रौद्योगिकी है जिससे क्रोमियम प्रदूषण कम होगा।

विज्ञान मंत्री हर्षवर्धन ने गुरुवार को उक्त जानकारी केंद्रीय चमड़ा अनुसंधान संस्थान (सीएलआरआई) के चमड़ा उद्योग से जुड़े शोध कार्यों को मीडिया के साथ साझा करते हुए कही। उन्होंने बताया कि नई तकनीक से चमड़ा उद्योग में पानी की आवश्यकता कम और लगभग समाप्त करने तथा खतरनाक पदार्थो के उत्सर्जन में 20 प्रतिशत की कमी आएगी। इस नई तकनीक को दुनिया में भी पहचान मिली है और कई देश इसमें रुचि दिखा रहे है।

वहीं हर्षवर्धन ने बताया कि विज्ञान एवं तकनीकि मंत्रालय खेलों से जुड़े प्रधानमंत्री के सपनों को पूरा करने की दिशा में भी काम कर रहा है। सीएसआईआर- सीएलआरआई खिलाड़ियों की बुनियादी जरूरतों से जुड़े तकनीकि रूप से सक्षम उत्पाद विकसित करेगा। इसमें प्रमुख रूप से सस्ते, टिकाऊ, प्रदर्शन के लिए बेहतर और आरामदायक जूते तैयार करना शामिल है। इसके तहत इस क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों को भी इसमें शामिल किया जाएगा। चमड़ा क्षेत्र में अनुसंधान कार्य से जुड़ी जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि सीएलआरआई 1948 में अपने स्थापना से 4 साल पहले एक विश्वविद्यालय में विभाग के तौर पर काम करता था। 60 के दक्षक में 40 करोड़ का उद्योग 2015 में 40 हजार करोड़ का हो गया है। उन्होंने बताया कि 90 के दशक में जिस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा था, वह पर्यावरण के नजरिये से ठीक नहीं थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उस समय इस शोध संस्थान ने पर्यावरण के अनुरूप तकनीक विकसित की और हजारों लोगों का रोजगार बचा लिया। उन्होंने बताया कि चमड़ा क्षेत्र के लिए एक प्रौद्योगिकी मिशन योजना के तहत सीएसआईआर ने सरकार को लगभग 2400 करोड़ रुपये की योजना सौंपी है।

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