नयी दिल्ली, वाणिज्य मंत्रालय ने कहा है कि विभिन्न राज्यों में क्षेत्र विशेष की विशिष्ट खासियत और गुणवत्ता वाले (भौगोलिक संकेतक) कई उत्पाद हैं, जिन्हें वैश्विक बाजारों में संभावित खरीदारों तक पहुंचाने के लिए समुचित विपणन (मार्केटिंग) की जरूरत है।
मंत्रालय ने कहा कि स्थानीय भौगोलिक संकेतक का दर्जा प्राप्त कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये सरकार नये उत्पादों और गंतव्यों की पहचान कर रही है।
सरकार कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के जरिये प्रयोग के तौर पर कुछ उत्पादों को नये बाजारों में भेजने की राह को सुगम बना रहा है।
इन उत्पादों में काला नमक चावल, नगा मिर्च, शाही लीची, जलगांव का केला आदि शामिल हैं।
भौगोलिक संकेतक उन उत्पादों को दिया जाता है, जिनकी उत्पत्ति विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में होती है और इसके कारण उन उत्पादों की विशिष्ट गुणवत्ता तथा एक अलग पहचान होती है। ऐसे उत्पाद गुणवत्ता का गारंटी और विशिष्टता का आश्वासन देते हैं।
दार्जिलिंग की चाय, महाबलेश्वर की स्ट्रॉबेरी, बनारसी साड़ी और तिरुपति का लड्डू जैसे उत्पादों को जीआई संकेतक प्राप्त हैं।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘ दार्जिलिंग चाय और बासमती चावल भारत के दो लोकप्रिय भौगोलिक संकेतक वाले कृषि उत्पाद हैं। इन उत्पादों के लिये दुनियाभर में तैयार बाजार हैं। देश के विभिन्न भागों में भौगोलिक संकेतक दर्जा प्राप्त उत्पाद हैं, जिनके पास विशिष्ट लेकिन ऐसे ग्राहक हैं, जो उसे पसंद करते हैं। ऐसे उत्पादों को अधिक-से-अधिक संभावित खरीदारों तक पहुंचाने के लिये सही तरीके ‘मार्केटिंग’ की आवश्यकता है।’’
देश में अभी की स्थिति के अनुसार 417 पंजीकृत भौगोलिक संकेतक वाले उत्पाद हैं। इनमें से 150 कृषि और खाद्य उत्पाद हैं।