नयी दिल्ली, वर्ष 2015 के विश्वकप के बाद से लेकर 2019 के विश्वकप तक टीम इंडिया की चौथे नंबर की पहेली ऐसी उलझी कि अब तक सुलझ नहीं पायी है। इंग्लैंड में आयोजित विश्वकप से पहले बल्लेबाजी क्रम में चौथे नंबर को लेकर लगातार चिंता व्यक्त की जा रही थी और ये चिंताएं भारत के विश्वकप से बाहर हो जाने के बाद सही साबित हो गयी। भारत ने इस विश्वकप में चौथे नंबर पर चार बल्लेबाज़ों को आज़माया जो टीम रणनीति के लिहाज़ से सही नहीं कहा जा सकता।
भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मैच में चौथे नंबर पर लोकेश राहुल को उतारा। आस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबले में हार्दिक पांड्या उतरे। न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच बारिश से धुल गया। आस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में चोट लगने के बाद ओपनर शिखर धवन टूर्नामेंंट से बाहर हो गये और लोकेश राहुल को चौथे नंबर से ओपनिंग में जाना पड़ा। पाकिस्तान के खिलाफ मैच में पांड्या चौथे नंबर पर उतरे जबकि अफगानिस्तान और वेस्टइंडीज़ के खिलाफ विजय शंकर को चौथे नंबर पर उतारा गया।
शंकर के टूर्नामेंट से बाहर हो जाने के बाद रिषभ पंत को टीम में शामिल किया गया था और इंग्लैंड, बंगलादेश, श्रीलंका तथा सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ पंत चौथे नंबर पर उतरे। टीम प्रबंधन ने बल्लेबाजी के इस सबसे महत्वपूर्ण क्रम पर किसी भी बल्लेबाज़ को स्थायित्व का मौका नहीं दिया और बार बार इस क्रम पर नये बल्लेबाज़ों को आज़माया जाता रहा। सेमीफाइनल हारने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि अनुभवी महेंद्र सिंह धोनी को चौथे नंबर पर उतारा जाना चाहिये था।