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वर्ल्ड विज़न इंडिया कोविड मदद के लिए कई राज्यों में सक्रिय

नई दिल्ली,  वैश्विक महामारी कोविड-19 में सरकार के राहत प्रयासों में अपना समर्थन देते हुए हुए वर्ल्ड विज़न इंडिया ने कई राज्यों में विभिन्न क्षेत्रों में सक्रियता बढा दी है।

संस्था के मानवीय और आपातकालीन मामलों के प्रमुख फ्रेंकलिन जोंस ने कहा,“वर्ल्ड विज़न इंडिया की टीमें संकटग्रस्त लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें भोजन, सूखा राशन और चिकित्सा आपूर्तियाँ प्रदान करने में सरकार की मदद के लिए उनके साथ मिलकर काम कर रही हैं। हमारा दीर्घकालिक प्रयास यह सुनिश्चित करने पर भी केंद्रित है कि संकटग्रस्त परिवार लॉकडाउन के दौरान अपना भरण-पोषण करने में सक्षम हों, वायरस से सुरक्षित हों और हम सतत आजीविका मॉडल की भी तलाश कर रहे हैं,। लॉकडाउन होने के कारण, भोजन, स्वच्छता किट, चिकित्सा आपूर्तियां, चिकित्सा उपकरण और आजीविका सहायता की तत्काल आवश्यकता है। “

वर्ल्ड विज़न इंडिया की टीमें जिला प्रशासन के साथ मिलकर लगातार काम कर रही हैं ताकि 21 दिनों के लॉकडाउन के दौरान लोगों को बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें। राहत सहायता में सबसे अधिक संकटग्रस्त लोगों को पका हुआ भोजन, सूखा राशन, चिकित्सा आपूर्तियां, चिकित्सा उपकरण और स्वच्छता किट प्रदान करना शामिल है। वर्ल्ड विज़न इंडिया संबंधित स्थानीय प्रशासन के माध्यम से लगभग 7000 संकटग्रस्त लोगों को 45,030 से अधिक भोजन और यौनकर्मियों के परिवारों समेत 700 से अधिक परिवारों को सूखा राशन प्रदान कर रहा है । लगभग 11,313 बच्चों को स्वास्थ्य संबंधी सहायता और जानकारी दी गई।

पश्चिम बंगाल में वर्ल्ड विज़न इंडिया वाणिज्यिक यौनकर्मियों के बच्चों के साथ काम करता है। टीमें परिवारों को सूखा राशन प्रदान करने के अलावा बाल अनुकूल शिक्षा और मनोरंजन केंद्र में आने वाली किशोरियों को परामर्श भी दे रही हैं।

वर्ल्ड विज़न इंडिया के बाल तस्करी विरोधी कार्यक्रम प्रमुख जोसेफ वेस्ली ने कहा, “पहले से ही भारी कर्ज में डूबी कई माताओं और बच्चों के लिए, कोविड-19 एक अनियंत्रित दोहरी विपदा समान है। पहला, संक्रमण के डर ने उनके सामान्य जीवन को एक भयावह पड़ाव पर लाकर खड़ा कर दिया है। दूसरा जो ज्यादा महत्वपूर्ण है रोजी रोटी ,इसने उनके अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है। इसके अलावा, उनमें से कई लोग एक गैर-दस्तावेजी ज़िंदगी जीते हैं, और उनके पास अपनी नागरिकता या अपने अस्तित्व को साबित करने के लिए कोई दस्तावेज नहीं होता है। इसका मतलब यह है कि उनकी तरफ बढ़ाई गई छोटी से छोटी राहत सहायता भी उन तक नहीं पहुँच पाती है।”

संस्था मानवीय राहत संगठन होने के नाते, विपदाओं और प्राकृतिक आपदाओं जैसे कि सुनामी, भूकंप, बाढ़ और सूखे के समय में केवल तत्काल राहत प्रदान करता है, बल्कि यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध रहता है कि प्रभावित समुदाय दीर्घकालिक पुनर्वास पहल के माध्यम से अपने पैरों पर वापस खड़े हो पाएं।