मुंबइ, मुंबई स्थित इंडियन एस्ट्रोबायोलॉजी रिसर्च सेंटर और संयुक्त राष्ट्र से जुड़े आईएआरसी केंद्र ने नेहरू विज्ञान केंद्र के साथ मिलकर मुंबई में भारत के पहले अंतरिक्षीय जीवन सम्मेलन लाइफ इन स्पेस का आयोजन किया। एस्ट्रोबायोलॉजी ब्रह्मांड में जीवन की उत्पत्ति, विकास और वितरण का अध्ययन है। यह अन्य जगहों पर किसी भी तरह के जीवन या धरती से परे की बुद्धिमत्ता की खोज को भी समाहित करती है। आईएआरसी के प्रमुख वैज्ञानिक पुष्कर गणेश वैद्य ने बताया कि एस्ट्रोबायोलॉजी के इस पहले सम्मेलन को अच्छी प्रतिक्रिया मिली है।
सभागार में देश भर से आए छात्र मौजूद रहे। इस सम्मेलन की शुरूआत जाने-माने अंतरिक्ष विज्ञानी प्रोफेसर जयंत नारलीकर के वक्तव्य के साथ हुई। उन्होंने अंतरिक्ष में सूक्ष्मजीवन के लिए चल रही खोज के बारे में तो बात की ही, साथ ही धरती की सतह से 40 किलोमीटर उपर से प्राप्त कार्बनिक पदार्थ के विश्लेषण के लिए नियोजित भविष्य के परीक्षणों पर भी बात की। वैद्य ने कहा कि ये विश्लेषण दिखा सकता है कि क्या जीवन बाहरी अंतरिक्ष से आता है। वहीं ब्रिटेन के कैंब्रिज से आए प्रोफेसर चंद्र विक्रमा सिंघे ने धरती से परे के जीवन की खोज में अपने चार दशक लंबे अनुभव के आधार पर पहला आर्थर सी क्लार्क स्मृति व्याख्यान दिया। इन चार दशक में उन्होंने पैन्सपर्मिया के परीक्षण पर विशेष काम किया है।