नई दिल्ली, दागी सुरेश कलमाड़ी और अभय सिंह चौटाला को भारतीय ओलंपिक संघ का आजीवन अध्यक्ष बनाए जाने का कड़ा विरोध करते हुए पूर्व खेल मंत्री अजय माकन ने आज सरकार से मांग की कि इस फैसले को पलटा पाए और देश की छवि बचाई जाए। इन नियुक्तियों को दुखद और पीड़ादायक करार देते हुए माकन ने इस मुद्दे पर सरकार को अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति से संपर्क करने को कहा है। माकन ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, पूर्व खेल मंत्री और खेल प्रेमी होने के नाते आईओए का कलमाड़ी और चौटाला को आजीवन अध्यक्ष नियुक्त कने का फैसला दुखद और काफी पीड़ादायक है।
यह फैसला खेलों और भारत की छवि के लिए अच्छा नहीं है। उन्होंने कहा, मैं खेल मंत्री से आग्रह करता हूं कि वे ना सिर्फ अपनी आपत्ति दर्ज कराएं बल्कि कड़ी कार्रवाई करते हुए इस फैसले को पलटें। खेल मंत्रालय सभी राष्ट्रीय खेल महासंघों को कोष देता है इसलिए सरकार को अपने पूर्ण अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए फैसला पलटना चाहिए। अगर वे ऐसा करते हैं तो ऐसा कोई कारण नहीं कि इस मुद्दे को सुलझाया ना जा सके। माकन ने भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार से मांग की कि वह अपने अधिकारों का इस्तेमाल करे और आईओए को यह कदम वापस लेने के लिए बाध्य करे।
माकन ने कहा, गलती में सुधार का पहला कदम यह होना चाहिए कि आपात बैठक बुलाने के लिए आईओए पर दबाव डाला जाए और कलमाड़ी तथा चौटाला को अदालत से क्लीन चिट मिलने तक फैसले को वापस लेने के लिए बाध्य किया जाए। उन्होंने कहा, सरकार को आईओसी की नैतिक समिति से भी संपर्क करना चाहिए। सरकार को इस मुद्दे पर अदालत में दायर सभी जनहित याचिकाओं का समर्थन करना चाहिए। अगर उन्हें नहीं हटाया गया तो यह भारतीय खेलों पर बड़ा दाग होगा। खेल मंत्री विजय गोयल पहले ही इन नियुक्तियों पर सवाल उठा चुके हैं। माकन ने मंगलवार को वार्षिक आम बैठक में इन नियुक्तियों का विरोध नहीं करने पर भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर, भाजपा की सहयोगी शिरोमणि अकाली दल के सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा और आईओए के मौजूदा उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, आज हम जब देश से भ्रष्टाचार हटाने की बात कर रहे हैं तब ऐसे दागी व्यक्तियों को वापस लाने का क्या मतलब है।
आईओए क्या संदेश दे रहा है। माकन ने कहा, अनुराग ठाकुर, ढींढसा और तरलोचन सिंह आईओए की कार्यकारी समिति का हिस्सा थे और मंगलवार को बैठक में मौजूद थे। मैं इनसे आग्रह करता हूं कि देश की छवि के लिए इस फैसले को वापस लें। वर्ष 2013 इंडियन प्रीमियर लीग में भ्रष्टाचार की जांच के लिये उच्चतम न्यायालय द्वारा निुयक्त समिति की अध्यक्षता करने वाले न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल को भी लगता है कि आईओए ने गलती की। उन्होंने कहा, उनका अपराध अभी ट्रायल में है लेकिन मुझे लगता है कि इससे बचा जा सकता था और उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था। मुझे बताया गया कि यह तो एजेंडा भी नहीं था। सैद्धांतिक रूप से खेल संस्थायें स्वंतत्र हैं लेकिन सभी प्रतियोगिताओं के लिये उन्हें राज्य से धनराशि की जरूरत होती है। सरकार यह धन देना रोक सकती है लेकिन इससे भारतीय खेलों को ही नुकसान होगा। यह मुश्किल स्थिति है। मुद्गल ने कहा, यह अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति पर निर्भर करता है कि वह इसका संज्ञान ले लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि आईओए प्रतिबंधित नहीं हो क्योंकि यह भारतीय खेलों के लिये बुरा होगा।