रायबरेली, उत्तर प्रदेश में रायबरेली की अदालतों में आपराधिक कानून में हुए बदलाव को लेकर अधिवक्ताओ ने आज न्यायिक कार्यो से विरत रहते हुए हड़ताल कर अपना सांकेतिक विरोध प्रकट किया।
जिला दीवानी व सत्र न्यायालय एवं कलेक्ट्रेट न्यायालय के अधिवक्ताओं ने 1 जुलाई से हुए भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर नए आपराधिक कानून को लागू किये जाने के विरोध में हड़ताल कर अपना सांकेतिक विरोध प्रकट किया है।
जिले की सबसे बड़ी अधिवक्ताओं की बार एसोसिएशन सेंट्रल बार ने आपराधिक कानून में बदलाव को लेकर बुधवार शाम को प्रस्ताव पारित करते हुए गुरुवार को अधिवक्ताओं को न्यायिक कार्य से विरत रहने का आह्वान किया।
सेंट्रल बार के महामंत्री अमरेंद्र सिंह उर्फ रामू चौधरी ने आज बताया कि केंद्र सरकार ने हाल ही बड़ा बदलाव करते हुए भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता दंड प्रक्रिया संहिता के स्थान पर भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और साक्ष्य अधिनियम के स्थान पर भारतीय साक्ष्य अधिनियम जैसे आपराधिक कानून लागू किये है। इस कारण अधिवक्तागण इनके विरोध में एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करते हुए पूर्ण रूप से न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे। महामंत्री के अनुसार इस प्रस्ताव की सूचना जिला न्यायाधीश को भेजी गई है व उनसे अपेक्षा की गई है कि वह अपने अधीनस्थ न्यायलयों को भी इस सम्बंध में अवगत करा दें।
उधर कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन की ओर से सुशील कुमार श्रीवास्तव व उपाध्यक्ष पदम् प्रसाद ने आज बताया कि कलेक्ट्रेट में एसडीएम व सिटी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में आपराधिक मामले चलते हैं और इन नए आपराधिक कानून के लागू होने से कई तरह की विसंगतियां उत्पन्न होने की संभावना है इसलिए इन बदलाव के विरोध में व दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता साथियों के समर्थन में न्यायिक कार्य से विरत रहते हुए एक दिन की सांकेतिक हड़ताल कर रहे हैं। कलेक्ट्रेट बार एसोसिएशन की ओर से इस प्रस्ताव की सूचना जिलाधिकारी व उनके अधीनस्थ न्यायलयों को भेजी गई है।