हैदराबाद, तेलंगाना में आरक्षण बढ़ाने वाले विधेयक को भाजपा ने रद्दी का टुकड़ा बताया है। पार्टी ने कहा कि इसकी कोई कानूनी और संवैधानिक शुचिता नहीं है और यह केंद्र सरकार के स्तर पर रद्द हो जाएगा, क्योंकि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय कर रखी है। तेलंगाना विधानमंडल के दोनों सदनों में एक विधेयक पारित किया गया जिसमें अनुसूचित जनजाति और मुस्लिमों के भीतर पिछड़े वर्ग को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण बढ़ाया गया है।
भाजपा प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने बताया, पार्टी के स्तर पर हम इसका उपयोग तेलंगाना में भाजपा के उभार के बड़े अवसर के तौर पर करेंगे और केंद्र सरकार के स्तर पर यह शुरुआत में ही रद्द कर दिया जाएगा। प्रवक्ता के अनुसार तेलंगाना विधानमंडल के दोनों सदनों में यह विधेयक पारित हो गया। इसकी कोई भी कानूनी और संवैधानिक शुचिता नहीं है क्योंकि राज्य सरकार ने प्रक्रिया और प्रणाली का पालन नहीं किया है।
राव ने कहा कि धर्म आरक्षण देने का आधार नहीं हो सकता है और कानूनी तौर पर यह व्यवहार्य नहीं है क्योंकि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने आरक्षण की सीमा 50 फीसदी तय रखी है। उन्होंने कहा, स्थानीय भाजपा इकाई इस विधयेक को अदालत में चुनौती देगी। उन्होंने प्रक्रिया का पालन नहीं किया और इसलिए यह विधेयक रद्दी के टुकड़े की तरह है, इसकी कोई वैधता नहीं है। राव ने कहा, यह अदालतों की जांच के समक्ष टिक नहीं पाएगा।
उन्होंने बताया कि भुवनेश्वर में संपन्न भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में भी इस मुद्दे को उठाया गया और इस पर चर्चा की गई। राव ने कहा, इसने हमें टीआरएस सरकार की छवि खराब दिखाने का बड़ा अवसर दिया है क्योंकि सरकार के तौर पर यह गैरजिम्मेदार हैं और इसने पिछड़े वर्गों के लिए अधिकारपूर्ण आरक्षण को कम किया है। उन्होंने कहा कि पार्टी बड़े पैमाने पर मुस्लिमों को दिए गए आरक्षण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू करनेवाली है। राव ने कहा कि भाजपा अनुसूचित जनजाति का आरक्षण बढ़ाने का समर्थन करती है।