नई दिल्ली, आर्मी चीफ जनरल दलबीर सिंह सुहाग ने पूर्व आर्मी चीफ और केंद्रीय मंत्री वीके सिंह के खिलाफ संगीन आरोप लगाए हैं। दलबीर सिंह सुहाग ने सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया है। सेना प्रमुख दलबीर सिंह सुहाग ने पूर्व सेना प्रमुख और बीजेपी नेता वीके सिंह पर गलत तरीके और इरादे से उनका प्रमोशन रोकने का आरोप लगाया है। दलबीर सिंह सुहाग ने यह बात बुधवार (17 अगस्त) को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए एक हलफनामे में कही है।
सुहाग के हलफनामे में लिखा, ‘ 2012 में मुझे उस वक्त के सेना प्रमुख द्वारा प्रताड़ित किया जा रहा था। जिसका एकमात्र उद्देश्य मेरा प्रमोशन रोकना था ताकि मैं आर्मी कमांडर ना बन जाऊं। मेरे खिलाफ कई तरह के बेबुनियाद आरोप लगाए गए थे।’ दलबीर सिंह सुहाग ने यह हलफनामा एक याचिका में जवाब में दाखिल किया है। वह याचिका लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) रवि दस्ताने की तरफ से डाली गई थी। उसमें आरोप लगाया गया था कि दलबीर सिंह सुहाग को पक्षपात या तरफदारी करके सेना प्रमुख बनाया गया था।
जनरल वीके सिंह ने 2012 में सेना प्रमुख के अपने अंतिम दिनों के कार्यकाल के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहाग पर अपनी खुफिया इकाई पर ‘कमान एवं नियंत्रण रखने’ में विफल रहने के लिए ‘अनुशासन एवं सतर्कता प्रतिबंध’ लगा दिए थे, जो तब तीन कोर के कमांडर थे।बिक्रम सिंह के सेना प्रमुख बनते ही प्रतिबंध हटा लिए गए थे और सुहाग को पूर्वी सेना का कमांडर नियुक्त किया गया था।
सुहाग के नेतृत्व वाली एक यूनिट पर आरोप था कि उन्होंने अप्रैल से मई 2012 के बीच पूर्वोत्तर क्षेत्र में हत्याएं और लूटपाट की थीं। इसके लिए उस वक्त के सेना प्रमुख वीके सिंह ने सुहाग के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए उनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी थी। सेना प्रमुख वीके सिंह ने सुहाग के ख़िलाफ़ अनुशासनात्मक कार्रवाई हुए उनकी पदोन्नति पर रोक लगा दी। तब से ही यह विवाद चल रहा है। वहीं वीके सिंह अपनी कार्रवाई को हमेशा जायज बताते रहे हैं। एक बारे उन्होंने ट्विटर पर लिखा था, ‘अगर कोई यूनिट बेगुनाहों की हत्या करती है, लूटपाट करती है और उसके बाद यूनिट का प्रमुख उन्हें बचाने का प्रयास करता है, तो क्या उसे जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए? अपराधियों को खुला घूमने दिया जाना चाहिए?’