इतने तरह का होता है नमक, इस्तेमाल जानकर रह जाएंगे हैरान
April 2, 2019
नमक ऐसी चीज है जो हर किसी के किचन में होती है, मगर यह सिर्फ खाने में डालने के ही काम नहीं आती। इसके कई और फायदे भी हैं, किसी भी मसाले की कमी स्वाद में बर्दाश्त की जा सकती है लेकिन नमक की नहीं. नमक का स्वाद हमारे पांच बेसिक स्वादों (नमकीन, मीठा, तीखा, खट्टा और फीका) में से एक होता है. लेकिन नमक खुद एक ही तरह का नहीं होता. नमक इन 12 तरीकों के होते हैं –
टेबल सॉल्ट: यह सबसे कॉमन नमक है. यह जमीन के नीचे पाए जाने वाले लवणीय तत्वों से बनाया जाता है. इसे निकालने के बाद इसकी अशुद्धियां और खनिज साफ कर दिए जाते हैं. ज्यादातर टेबल सॉल्ट में आयोडीन भी मिलाया जाता है. इसे घेंघा का सटीक उपचार माना जाता है.
कोशेर सॉल्ट: कोशरिंग सॉल्ट जिसे अमेरिका में कोशेर सॉल्ट भी कहा जाता है. इसके दाने टेबल सॉल्ट की अपेक्षा मोटे और परत वाले होते हैं. अपने साइड के चलते मीट के ऊपर छिड़कने के लिए इसे बेहतरीन माना जाता है. साथ ही यह तेजी से घुलता है, जिसके चलते किसी भी खाने में इसके उपयोग को अच्छा माना जाता है.
काला नमक: यह भी हिमालयी क्षेत्रों में ही पाया जाता है. इसे एक जार में चारकोल, जड़ी-बूटियों, बीजों और छालों के साथ पैक कर दिया जाता है. फिर एक भट्टी में चार घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है. जिससे यह स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा हो जाता है. पाचन के लिए भी इसे अच्छा माना जाता है. शाकाहारी लोग जो अंडा नहीं खाते अगर इसका खाने में प्रयोग करें तो उन्हें अंडे जैसा स्वाद भी मिल जाता है.
फ्लेक सॉल्ट: इसे नमकीन पानी से वाप्पीकरण के जरिए निकाला जाता है. यह पतली परत वाला, गैर बराबर कणों वाला और सफेद होता है. लेकिन इसमें खनिजों की मात्रा कम होती है. इसे मीट आदि खानों के लिए फिनिशिंग सॉल्ट के तौर पर प्रयोग किया जाता है.
ब्लैक हवाईयन सॉल्ट: इसे ब्लैक लावा सॉल्ट के तौर पर भी जाना जाता है. इसे भी समुद्र से ही निकाला जाता है. एक्टीवेटेड चारकोल की मात्रा भी होने के कारण यह गहरे काले रंग का होता है. इसके दाने बराबर नहीं होते, पोर्क और सीफूड जैसे खानों के फिनिशिंग सॉल्ट के तौर पर इसका इस्तेमाल किया जाता है.
रेड हवाईयन सॉल्ट: इसे अलेया नमक भी कहते हैं. यह एक अनरिफाइंड नमक होता है. इसका हल्का लाल रंग, ज्वालामुखी के लौह खनिजों और अलेया क्ले के चलते लाल होता है. इसका इस्तेमाल खाने के साथ तमाम पारंपरिक कार्यों में भी किया जाता है.
स्मोक्ड सॉल्ट: इस नमक को दो हफ्तों तक लकड़ी की आग में धीरे-धीरे धुंआ दिया जाता है. जिससे खाने में डालने पर इनसे एक स्मोकी टेस्ट आता है. मीट और आलू पकाने में इसका इस्तेमाल किया जाता है. और अलग-अलग लकड़ियों के इस्तेमाल से नमक के स्वाद में भी बदलाव आता है.
पिकलिंग सॉल्ट: इसका इस्तेमाल खाद्य पदार्थों को लंबे वक्त तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है. इसमें न ही आयोडीन होता है और न ही समुद्री नमक की तरह खनिज, जिससे लंबे वक्त के लिए सुरक्षित रखे जाने वाले खाने को कोई नुकसान नहीं पहुंचता.
समुद्री नमक: इसे समुद्री जल को सुखाकर बनाया जाता है. समुद्री नमक ज्यादातर साफ न किया गया और टेबल नमक की अपेक्षा बड़े दानों वाला होता है. साथ ही इसमें ज़िंक, पोटैशियम और आयरन जैसे खनिज भी हो सकते हैं. जिससे इसका टेस्ट थोड़ा अलग हो जाता है.
हिमालय का पिंक सॉल्ट या सेंधा नमक: इस नमक को दुनिया में मौजूद सबसे साफ नमक माना जाता है. जिसे हाथ से खोदकर निकाला जाता है. यह हिमालयन रेंज की पाकिस्तान में मौजूद खेवड़ा नमक खानों से खोदकर निकाला जाता है. इसका रंग फीके सफेद से गुलाबी के बीच कई शेड्स में होता है. यह खनिजों के मामले में बहुत अच्छा होता है. इसमें शरीर के लिए फायदेमंद 84 खनिज भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. स्पॉ वगैरह में भी इसका खूब प्रयोग होता है.
सेल्टिक सी सॉल्ट: इसे फ्रेंच में ‘सेल ग्रिस’ भी कहा जाता है. जिसका मतलब होता है ग्रे नमक. सेल्टिक सी सॉल्ट को फ्रांस के समुद्र तट पर मौजूद ज्वार भाटे से भरने वाले तालाबों से निकाला जाता है. यह रंग में थोड़ा धूसर ग्रे होता है. मछली और मीट पकाने के लिए इसे अच्छा माना जाता है.
फ्लिउर दे सेल: शब्दश: इसका अर्थ होता है, ‘फ्लावर ऑफ सॉल्ट’ यानि नमक का फूल. यह फ्रांस की ब्रिटनी नाम की जगह के ज्वार वाले पूल से निकाला जाता है. इसके पन्ने की तरह पतने कणों को पानी से काछ कर (वाइपिंग के जरिए) निकाला जाता है. यह निकालने की प्रकिया तभी की जाती है, जब सूरज निकला हो, दिन गर्म हो और हवा चल रही हो. इसे पारंपरिक लकड़ी के वाइपिंग के जरिए निकाला जाता है. इस मेहनत वाली प्रक्रिया के चलते यह बहुत महंगा नमक हो जाता है. इसमें होने वाली नमी के चलते यह हल्का सा नीला रंग लिए होता है. इसे मीट, सीफूड, सब्जियां और चॉकलेट और कैरेमल आदि में प्रयोग के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है.