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उच्चतम न्यायालय मंे 65 हजार मामले लंबित

उच्चतम न्यायालय के न्यायाध्ाीश न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर ने आज कहा कि देश की न्यायपालिका के समक्ष आज के समय मंे सबसे बड़ी चुनौती उसका प्रबंध्ान है और इसमंे बदलाव की जरूरत है जिससे गरीब लोगांे को आसानी से न्याय दिलाया जा सके और विभिन्न अदालतांे मंे लंबित हजारांे मामलांे का त्वरित निपटारा किया जा सके। आज के समय मंे उच्चतम न्यायालय मंे 65 हजार मामले लंबित हंै। “sc‘ भारतीय न्यायपालिका के समक्ष उभरती चुनौतियां¹ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन मंे न्यायमूर्ति लोकुर ने कहा ,” न्यायपालिका का प्रबंध्ान आज की सबसे बड़ी चुनौती है। वास्तविकता यह है कि आज के समय मंे सबसे बड़ी जरूरत न्याय तक गरीबांे की पहुंच आसान करनी है। दुर्भाग्य से इस दिशा मंे ज्यादा कुछ नहीं किया गया है। त्वरित न्याय की गति भी कम है। हर बीते दिन के साथ उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयांे मंे लंबित मामलांे की संख्या बढ़ती जा रही है ।
उन्हांेने कहा कि अब समय आ गया है कि प्रबंध्ान विशेषज्ञांे की मदद से न्याय प्रणाली मंे जरूरी परिवर्तन लाये जायंे। उन्हांेने साथ ही नेतृत्व क्षमता को भी जरूरी बताते हुए कहा ,” हर न्यायाध्ाीश अपनी अदालत के प्रबंध्ाक होते हंै। इस दिशा मंे राष्ट्रीय न्यायिक अकादमी जैसे संस्थान बनाये गये और यह संस्थान अच्छा काम भी कर रही है लेकिन नेतृत्व क्षमता विकास कार्यक्रमांे की कमी के कारण ज्यादा कारगर नहीं है।“
न्यायपालिका को कंप्यूटरीकृत किये जाने की जरूररत पर बल देते हुए उन्हांेने कहा कि न्यायपालिका की क्षमता बढ़ाने के लिए पहले चरण के तहत सभी जिलांे मंे मार्च 2014 तक कंप्यूरीकरण का काम 97 प्रतिशत पूरा हो गया था । हालांकि दूसरे चरण का काम फाइलांे मंे ध्ाूल फांक रहा है क्यांेकि इसे स्वीकृति नहीं दी गयी है।
अर्चना शोभना
वार्ता

नननन