एक लाख से ज्यादा डिलीवरी कराने वाली, पद्मश्री डॉ० भक्ति यादव नही रहीं
August 14, 2017
इंदौर, पद्मश्री डॉक्टर भक्ति यादव का सोमवार सुबह निधन हो गया. 92 वर्षीय स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. भक्ति यादव 1948 से मरीजों का बिना कोई फीस लिए इलाज करती थीं. इसी साल उन्हे पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया था.
सूत्रों के अनुसार, वे लंबे समय से बीमार चल रहीं थी, लेकिन इस दौरान उन्होंने मरीजों को देखना नहीं छोड़ा था.डॉ भक्ति को 6 साल पहले अस्टियोपोरोसिस नामक बीमारी हो गई थी, जिसकी वजह से उनका वजन लगातार घट रहा था. उनका जन्म उज्जैन जिले के महिदपुर में 3 अप्रैल 1926 को हुआ था और वे परदेशीपुरा में अपने वात्सल्य नर्सिंग होम का संचालन करती थीं।
पिछले छह दशक में एक लाख से ज्यादा महिलाओं का इलाज कर चुकी थीं और क्षेत्र में ‘डॉक्टर दादी’ के रूप में मशहूर थीं. 91 वर्ष की उम्र में भी उन्हें सबसे ज्यादा तसल्ली ली मरीजों की सेवा करने पर ही मिलती है. गुजरात, राजस्थान तक की महिलाएं नॉर्मल डिलिवरी की उम्मीद से उनके पास आती थीं.
उनके बारे में कहा जाता है कि वे आखिरी समय तक कोशिश करती थी कि प्रसव बिना आपरेशन के हो. डॉ. भक्ति यादव ने अपने शोध पत्र ‘प्रेग्नेंसी इन एडवोसेशंस’ में 1962 में ही यह उल्लेख किया था कि आने वाले समय में 12 से 17 वर्ष की आयु की बालिकाओं में कौमार्य के समय गर्भावस्था की समस्या सबसे ज्यादा होगी। उनके पुत्र डॉ. रमण यादव के अनुसार, मां ने विपरीत परिस्थितियों में रहकर पढ़ाई की और बिना इलेक्ट्रिसिटी के कई जटिल प्रकार के ऑपरेशन किए।