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कश्मीर में पानी अब सिर से ऊपर चला गया है: रामविलास पासवान

नई दिल्ली,  केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने कश्मीर में आतंकी हिंसा, पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा भारतीय सैनिकों के शव क्षत-विक्षत करने जैसी घटनाओं के मद्देनजर दोनों देशों के बीच शांति वार्ता को बेमानी बताया है। पासवान ने लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) की हाल ही में हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में कश्मीर के हालात पर जारी प्रस्ताव के हवाले से कहा कि राज्य में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी हिंसा को सख्ती से दबाना चाहिये।

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 लोजपा अध्यक्ष पासवान ने कहा कि सैनिकों के शव क्षत-विक्षत करना यह साबित करता है कि अब पानी सिर से ऊपर निकल गया है। हालांकि उन्होंने आतंकी हिंसा और घुसपैठ को रोकने के लिये सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मोदी सरकार के कदमों को पुख्ता प्रयास बताते हुये कहा कि अब समय आ गया है जब इस समस्या का स्थायी समाधान हो। अब तक बातचीत के रास्ते स्थायी समाधान के प्रयास पाकिस्तान ने बेमानी साबित कर दिये हैं।

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 उन्होंने कहा कि अलगाववादियों से बातचीत का कोई मतलब नहीं रह जाता है जब अलगाववादियों को लगातार बढ़ावा दे रहे पाकिस्तान के सैनिक घुसपैठ कर भारतीय सैनिकों के शव क्षत-विक्षत करते हैं।गत 30 अप्रैल को हुयी लोजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जारी प्रस्ताव के बारे में उन्होंने बताया कि पार्टी ने केन्द्र सरकार से गरीबों के हित में चलायी गयी योजनाओं का लाभ लक्षित वर्ग तक पहुंचने में आ रही बाधाओं को दूर करने की मांग की है।

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 पासवान ने कहा कि हर वर्ग के गरीब अभी भी सामाजिक न्याय से वंचित हैं। इसके हवाले से पार्टी के प्रस्ताव में मोदी सरकार से देश भर में ऐसे हर गांव को प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम घोषित करने की मांग की है जिसकी कुल आबादी में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी विधाओं की हो। साथ ही ब्लाक स्तर पर 12वीं कक्षा तक ऐसे आवासीय विद्यालय और हर जिले में आवासीय महाविद्यालय खोलने की मांग की है जिनमें दलित, पिछड़े और अनुसूचित समुदाय के बच्चों के लिये 50 प्रतिशत आरक्षण हो।

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 पासवान ने मोदी सरकार की आरक्षण व्यवस्था यथावत जारी रखने की घोषणा का स्वागत करते हुये कहा कि समाज में जाति व्यवस्था और अंतरजातीय विवाह कायम रहने तक आरक्षण जारी रखना अपरिहार्य है। उन्होंने आरक्षण खत्म करने के शिगूफे को विपक्ष की साजिश करार देते हुये सभी विपक्षी दलों को आगाह किया कि कम से कम साल 2024 तक विपक्ष को प्रधानमंत्री पद की ओर देखने की कोई जरूरत नहीं है। इसके लिये महागठबंधन जैसी कवायद कर विपक्ष अपना समय नष्ट न करे क्योंकि बिहार में इस प्रयोग का हश्र अब दिखने लगा है।