बैंको के सौतेले व्यवहार और नियमों में हुए बदलाव के कारण एसबीआई से सम्बंधित सभी टाइनी संचालक परेशान हो उठे हैं। नियमों में बदलाव से जहां एक ओर टाइनी संचालकों को आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर टाइनी से सम्बंधित ग्राहकों को भी परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। ग्राहकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकों ने अपनी टाइनी शाखा को खोलना शुरू किया। इन शाखाओं पर ग्रामीणों ने अपने खाते खुलवाए। जन-धन योजना में भी इन टाइनी संचालकों ने गांव के उन गरीबों का खाता खोला, जिन्होंने कभी बैंको का मुंह तक नहीं देखा था। ग्रामीणों ने भी बैंको में घण्टों लाइन में लगने की झंझट से छुटकारा पाने के लिए इन शाखाओं में जमकर अपना खाता खुलवाया लेकिन अचानक हुए नियमों में बदलाव से संचालक और ग्राहक दोनों हैरान और परेशान हैं। अब टाइनी से सम्बंधित ग्राहक जिसका केवाईसी जमा नहीं है महीने में 5000 हजार और जिसका जमा है वो केवल दस हजार ही अपने खाते से निकाल सकता है। ग्राहक को कितना भी आवश्यक हो लेकिन वो इससे ज्यादा रकम महीने में नहीं निकाल सकता जबकि बैंक की शाखाओं से सप्ताह में सरकार ने चौबीस हजार की सीमा तय कर रखी है। इतना ही नहीं, इन टाइनी शाखाओं के आधे से ज्यादा ग्राहकों के खाते को बैंको ने स्टॉप होल्ड यानी बंद कर दिया है। कैश भी इन संचालकों को नहीं दिया जा रहा है। जिससे अब इन टाइनी शाखाओं के अस्तित्व पर ही सवालिया निशान लग गया है। ग्राहकों का इन शाखाओं पर से विश्वास उठता जा रहा है। नियमों के इसी बदलाव और सौतेलेपन के कारण एसबीआई के टाइनी संचालकों में आरबीआई और सरकार के प्रति आक्रोश फैलता जा रहा है और संचालकों को आर्थिक तंगी में गुजारा करना पड़ रहा है। टाइनी शाखा के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश पांडेय, प्रवीण पांडेय, सतीश त्रिपाठी, ललित ओझा, धीरेंद्र यादव, मोहित धर, अबरार अहमद एवं धर्मेंद्र सिंह इत्यादि संचालकों ने केंद्र सरकार और आरबीआई से हो रही सारी असुविधाओं को खत्म करने की मांग की है। साथ ही मांग पूरी नहीं होने पर आंदोलन किए जाने की भी बात कही।