कॉलेजियम प्रणाली में उच्च जाति के उम्मीदवारों को ही बढ़ावा दिया जाता है। यह आरोप लगाया है मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस सीएस कर्णन ने। उन्होंने चीफ जस्टिस पर आरोप लगाया कि वह उनका लगातार उत्पीडन कर रहे हैं। पत्र में कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि इसके तहत उच्च जाति के उम्मीदवारों को ही बढ़ावा दिया जाता है जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए। जस्टिस सीएस कर्णन ने जजों के चयन के कॉलेजियम प्रणाली में जातिगत भेदभाव पर सवाल उठाते हुए इस सम्बंध मे तीन पत्र लिखे हैं। उन्होंने एक पत्र केंद्रीय कानून मंत्री को भी भेजा है।
जस्टिस सीएस कर्णन ने सही केस न दिए जाने का का विरोध करते हुए उन्होंने हाई कोर्ट अकाउंट्स के स्पेशल ऑडिट की मांग की है। उन्होंने कहा कि गैर जरूरी केस दिए जाने के विरोध में वह लंबी छुट्टी पर जा रहे हैं। चीफ जस्टिस पर आरोप लगाते हुये लिखा है कि आपके द्वारा किए जा रहे उत्पीडन से परेशान होकर मैं भारी दिल के साथ लंबी छुट्टी पर जाने के लिए मजबूर हूं।
जस्टिस सीएस कर्णन देश के पहले जज थे, जिन्होंने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति, जनजाति आयोग में जातीय भेदभाव की शिकायत की थी। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि जजों के चयन का तरीका गलत है और अगर जरूरत पड़ी तो वह खुद इसके विरोध में याचिकाकर्ता बन जाएंगे।