नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संपत्ति को लेकर दायर किए गए दीवानी मामले में सर्वे नंबर की गलती मामूली गलती है और इससे केस के मेरिट पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। वी राजेंद्रन बनाम अनासामी पांडियन के मामले पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस दीपक मिश्रा और जस्टिस आर भानुमति ने कहा कि याचिका दायर करने में सर्वे नंबर की गलती ऐसी गलती नहीं है जिससे केस को खारिज करने का आधार बनाया जाए।
मामला तमिलनाडु के कडालाडी जिले के का है जहां वादी ने एक संपत्ति पर कब्जे के लिए दीवानी मुकदमा दायर किया था। अर्जी में उसने गलती से सर्वे नंबर 192/14 की जगह 192/9 लिख दिया था। इस गलती का प्रतिवादी ने विरोध किया जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने वादी को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। इस फैसले के खिलाफ प्रतिवादी ने मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया जहां वादी को सफलता मिली। जिसके बाद वादी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में साफ कहा कि सिविल प्रोसिजर कोड के आर्डर 23 नियम 1(3)(ए) के तहत ये मामूली गलती है और केवल इस गलती के आधार पर याचिका खारिज नहीं की जा सकती है।