गोरखपुर, उत्तर प्रदेश गोरखपुर में गीता प्रेस शताब्दी वर्ष समापन समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गीता प्रेस की सौ साल की शानदार यात्रा है और इस दौरान इसने भारत की मूल चेतना का झनकृत किया है।
यहां गीता प्रेस मे आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए सूबे के मुखिया ने कहा कि किसी समय एक किराये के मकान से शुरू हुई गीता प्रेस ने अनेकों उतार चढाव देखे हैं और आज 100 करोड प्रकाशन करती है। इसके महान योगदान को देखते हुए सरकार ने गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया यह भारत की पहचान का सम्मान है। यह पहली बार है कि जब कोई प्रधानमंत्री देश की मूल चेतना के प्रसार में आजादी के पहले से ही समर्पित रूप से काम कर रही इस संस्था में आया है। यह इसलिए संभव हुआ है क्योंकि मोदी सरकार के शासनकाल में देश की अस्मिता को सम्मान दिये जाने और विकास की नयी यात्रा दोनों काम एक साथ किये जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि नौ वर्षों में देश के विकास के साथ साथ आस्था तथा विरासत को मिल रहे सम्मान और वैश्विक स्तर पर भारत को मिल रहे सम्मान को सभी ने देखा है । इस दौरान श्री मोदी ने भारत की आस्था और गौरवशाली इतिहास को भी नयी पहचान दिलाने का काम किया जा रहा है। यूं तो योग भारत की प्राचीन विधा है लेकिन श्री मोदी के मार्गदर्शन में आज इसे एक वैश्विक पहचान मिली है और आज दुनिया भर के 180 देश भारत की इस महान ऋषि परंपरा के उपहार से जुड़े हैं। मोदी जी ने कुंभ को भी 2019 में वैश्विक मान्यता दिलाने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि आज देश में विकास और देश की विरासत को एक साथ लेकर चलने का काम बखूबी किया जा रहा है। गोरखपुर में एम्स की शुरूआत हुई ,आईसीएमआर रिसर्च सेंटर बना इतना ही नहीं यहां का रामगढ़ ताल जो कभी आपराधिक गतिविधियों को लेकर कुख्यात थ वह आज नयी पहचान बना रहा है। जहां गोरखपुर से केवल एक फ्लाइट थी वहीं आज 14 फ्लाइटें हैं इतना ही नहीं आज गोरखपुर से वंदे भारत ट्रेन भी शुरू होने जा रही है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश और दुनियाभर में भारत का बढ़ रहा सम्मान हर भारतीय के लिए गौरव की बात है।
मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों, गोरखपुरवासियाें और पूवी उत्तर प्रदेश वासियों की ओर से प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए स्वागत और अभिनंदन किया।
इससे पहले राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री योगी और गोरखपुर से सांसद रविकिशन शुक्ला सहित मंचासीन गणमान्यों ने चित्रमय शिवपुराण और नेपाली भाषा में लिखित महाशिवपुराण पुस्तक का विमोचन किया।